गरीबी और लोकलाज के डर से बोरी में बंद कर फेंकी लाश
इंदौर। गरीबी और लोकलाज का डार क्या कुछ नहीं करा सकता इसका एक जीता जागता उदाहरण रविवार को सामने आया जब बोरी में बंद महिला की लाश के मामले में पुलिस ने जांच करते हुए उसके पति को पकड़ा तो खुलासा हुआ कि बीमारी के चलते पत्नी की मौत के बाद उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह उसका अंतिम संस्कार कर सके। इसलिए उसने बोरी में लाश भरकर घर के समीप फेंक दी।
रविवार सुबह चंदनगर थाना क्षेत्र के बांक पंचायत मेें एक गली में कार्नर के मकान के दरवाजे के पास बंद बोरी में एक अधेड़ महिला साड़ी में लिपती लाश मिली। इस पर रहवासियों ने इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी। सूचना मिलते ही एडिशनल डीसीपी आनंद यादव,एसीपी नंदनी शर्मा और थाना प्रभारी इंद्रमणि पटेल तुरंत मौके पर पहुंचे और आसपास जांच करने के बाद मृतका के शव को पीएम के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया। हालाकिं जांच के दौरान मृतका के शरीर पर किसी तरह के चोट के निशान पुलिस को नहीं मिले थे लेकिन जिस तरह लाश को फेंका गया उससे मामला हत्या का लग रहा था और उसकी बिंदु पर पुलिस ने जांच शुरू की लेकिन इसके पहले पुलिस के सामने लाश की पहचान करना एक बड़ी चुनौती थी। पुलिस ने सबसे पहले उसकी पहचान का प्रयास शुरू किया और कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार चंदननगर पुलिस को सफलता मिल गई और मृतका की पहचान आशा पति मदन नरगावे (57) निवासी मस्जिद के पास राजकुमार नगर ग्राम धार रोड के रूप में हुई। मृतका मूल रूप से अंजड़ जिला बड़वानी की रहने वाली थी। एसीपी नंदनी शर्मा ने बताया कि आसपास लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि वह अपने पति मदन नरगावे पिता हरचंद नरगावे के साथ किराए के कमरे में उसके साथ रहती थी। इसके बाद पुलिस ने मदन नरगावे की खोजबीन शुरू की तो वह घर के पास ही एक गार्डन में गुमशुम बैठा मिला। इस पर पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की तो वह अफसरों के सामने रोने लगा और रोते रोते उसने पूरी कहानी बंया करते हुए बताया कि वह अपने पत्नी के साथ बांक में किराए के मकान में रहता था। दोनों बुजुर्ग हैं और उनका कोई नहीं है।न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति ख्राब है बल्कि वह शारीरिक रूप से भी कमजोर हैं। उसने अफसरों को बताया कि उसकी पत्नी आशा नरगावे लंबे समय से बीमार थी लेकिन उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह उसका इलाज करा सके। ऐसे में उसकी तबीयत धीरे धीरे और बि$गड़ती गई और उसने बुधवार-गुरूवार की दरमियानी रात को दम तोड़ दिया। किंतु यह बात समाज के सामने बताने में उसे शर्म महसूस हो रही थी कि वह इतना मजबूर था कि पत्नी का इलाज भी नहीं करा पाया और अब उसके पास पत्नी के अंतिम संस्कार करने तक के रूपए नहीं है। इसके बाद उसने लोकलाज के डर से तीन दिन तक घर में ही शव रखा लेकिन शव से बदबू आने पर आसपडोस वाले चर्चा करने लगे कि बदबू कंहा से आ रही है इसके बाद वह डर गया और फिर उसने शव को साड़ी में लपेटा और एक बोरी में भरकर अपने कंधों पर रखकर घर से करीब 200 मीटर दूर मोहल्ले की दूसरी और सडक़ पर छोड़ आया और वापस अपने घर चला आया।
मानसिक रूप से है कमजोर
एसीपी नंदनी शर्मा ने बताया कि आरोपी मदन नरगावे मनासिक रूप से कमजोर है और उसी के चलते उसने ऐसा कदम उठाया फिलहाल पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया है।
कहानी सुनकर भर आई आंख
इधर जब आरोपी पति मदन नरगावे ने पत्नी आशा के लाश को ठिकाने लगाने और उसकी मजबूरी की कहानी बताई तो उसे सुनकर एसीपी नंदनी शर्मा और थाना प्रभारी इंद्रमणि पटेल की आंखे भर हैं। निश्चित तौर ये मजबूरी की एक जीती जागती कहानी है,इस कहानी को सुनकर किसी की भी आंख भर जाना लाजमी है। ये दोनों ही लोग भले ही पुलिस अफसर हैं लेकिन इससे पहले इंसान भी हैं।
इंदौर
पत्नी की मौत के बाद तीन दिन तक घर में रखा शव
- 27 May 2024