हे ईश्वर!
अभी बीते सप्ताह ही दैनिक भास्कर ने यह सूचना दी थी कि स्वास्थ्यगत समस्याओं के चलते अब 'पर्दे के पीछे' कॉलम के लेखक और फ़िल्म समीक्षक आदरणीय जय प्रकाश चौकसे जी अपना नियमित कॉलम नहीं लिख पाएँगे और वह उनका अंतिम कॉलम बन गया।
अभी यह दुःखद समाचार प्राप्त हुआ कि श्री चौकसे जी काल के आगे नतमस्तक होते हुए अपनी दैहिक अंतिम यात्रा की ओर प्रस्थान कर गए।
श्री चौकसे जी से कई दफ़ा मिलना भी हुआ और मार्गदर्शन भी मिलता रहा। कहते थे, 'अर्पण! हिन्दी को जितना प्रचारित और प्रसारित हिन्दी फ़िल्मों और गीतों ने किया है, उतना किसी अन्य माध्यम से आज तक नहीं हुआ।'
सच भी यही है, आज 'पर्दे के पीछे' के स्तंभ लेखक सदा के लिए पर्दे के पीछे चले गए।
ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।
विन्रम श्रद्धांजलि सहित !
डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'
राष्ट्रीय अध्यक्ष, मातृभाषा उन्नयन संस्थान
विविध क्षेत्र
'पर्दे के पीछे' के स्तंभ लेखक ने देह को कर दिया पर्दे के पीछे
- 02 Mar 2022