हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का निर्णय, कहा- उर्वरक क्षमता पर पड़ता है असर
जबलपुर,(एजेंसी)। जबलपुर बार एसोसिएशन ने पराली जलाने वाले किसानों की पैरवी नहीं करने का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट बार ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया है। बार अध्यक्ष धन्य कुमार जैन का कहना है कि किसानों को यह बताया जाएगा कि पराली का सही तरीके से उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, और पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है।
किसान अक्सर धान की कटाई के बाद खेतों में लगी पराली को जला देते हैं, इससे प्रदूषण के साथ ही खेत में मौजूद जीव-जंतुओं और पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान होता हैं।
इसलिए लिया निर्णय
दरअसल, जिला प्रशासन ने कई बार किसानों को समझाइश दी। लेकिन, इसका असर देखने को नहीं मिला। ऐसे में अब हाईकोर्ट बार आगे आया है। पर्यावरण और जनहित को देखते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट बार ने निर्णय लिया है।
जैविक संरचना पर बुरा असर पड़ता
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक पराली जलाने से पत्तियों में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और मृदा के तापमान में वृद्धि होती है। इससे मिट्टी की जैविक संरचना पर भी बुरा असर पड़ता है। साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ता है। जिससे धुंध और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं।
पराली जलाने से आसपास की फसलों और आबादी में आग लगने का खतरा रहता है, इसके अलावा वायु प्रदूषण के कारण सड़क हादसों और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
किसानों को इस प्रथा को रोकना चाहिए और पराली को जलाने के बजाय उसका सही तरीके से उपयोग करना चाहिए।
जबलपुर
पराली जलाने वालों की वकील नहीं करेंगे पैरवी
- 21 Nov 2024