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हमारे पूर्वजों ने जमीन पर रहना कैसे शुरू किया, पलक झपकाने वाली मछली खोल सकती है राज़

  • 10 May 2023

हाल ही में किए एक शोध से पता चलता है कि एक बेहद अजीब, पलक झपकाने वाली मछली में यह राज़ छिपा हो सकता है कि प्राचीन जानवरों ने जमीन पर रहने की क्षमता कैसे विकसित की. मडस्किपर्स (Mudskippers) मछली की एक उप-प्रजाति है जो जमीन और पानी दोनों में रहती है. यह एकमात्र ऐसी मछली है जो अपनी पलकें झपका सकती है. यह क्षमता उन्हें हमारे पूर्वजों से मिली है. इस अवधारणा को कन्वर्जेंट इवॉल्यूशन (Convergent evolution) कहा जाता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब 37.5 करोड़ साल पहले जब ज़मीन पर रहने वाले जानवर महासागरों से निकले, तब उनमें पलक झपकाने की क्षमता विकासित हुई. इसलिए, कन्वर्जेंट इवॉल्यूशन के इस उदाहरण की स्टडी करने पर यह पता चल सकता है कि हमारे आदिम पूर्वज पानी से निकलकर किनारों पर कैसे पहुंचे. 
शोध को रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (Proceedings of the National Academy of Sciences) में प्रताशित किया गया है. पेन स्टेट में बायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर और शोध के सह-लेखक थॉमस स्टीवर्ट (Thomas Stewart) का कहना है कि जानवर कई वजहों से पलक झपकाते हैं. इससे हमें आंखों को नम और साफ रखने में मदद मिलती है. आंखों को चोट से बचाने में मदद मिलती है और हम इशारे से बात करने के लिए भी पलक झपकाते हैं. 
उन्होंने कहा कि इस बात का पता करना कि यह व्यवहार पहली बार कैसे विकसित हुआ, ये चुनौतीपूर्ण रहा है. क्योंकि वह संरचनात्मक बदलाव (Anatomical changes) जिनकी वजह से पलकें झपकती हैं, ज्यादातर सॉफ्ट टिश्यू में होते हैं, जो जीवाश्म में ठीक से संरक्षित नहीं हो पाते. मडस्किपर ने अपने पलक झपकाने वाले व्यवहार को स्वतंत्र रूप से विकसित किया है. इससे हम यह समझ पाएंगे कि एक जीवित मछली जो लगातार पानी से निकलकर ज़मीन पर समय बिताती है, उसमें पलक झपकाना कैसे और क्यों विकसित हुआ होगा. 
वैज्ञानिकों ने किया शोध 
मडस्किपर की आंखे मेंढ़क की तरह होती हैं. इसपर शोध करने के लिए शोधकर्ताओं ने मडस्किपर के टैंक में हाई-स्पीड कैमरे लगाए, ताकि यह पता चल सके कि यह मछली पानी और ज़मीन के बीच कैसे आती-जाती है. जंगल में, मडस्किपर आमतौर पर टाइड पूल्स के आसपास रहती हैं और जब यह पानी में नहीं होतीं, तब अपने पंखों से जमीन पर चलती हैं.
शोधकर्ताओं ने उन जगहों को ट्रैक किया जहां मछली पलकें झपकाती थी. उन्होंने पाया कि पानी में डूबे रहने पर मछली बहुत कम पलक झपकाती थीं, लेकिन जब वह हवा में होती, तो अक्सर पलकें झपकाती थी. जब शोधकर्ताओं ने टैंक का एयरफ्लो और वाष्पीकरण की दर बढ़ाई, तो मडस्किपर ज़्यादा पलकें झपकने लगी. मछलियों ने आंखों के सामने से मलबा हटाने के लिए भी अपनी पलकें झपकाई थीं.
मछली ने पलक झपकना कैसे शुरू किया
पेन्सिलवेनिया में सेटन हिल यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान के सहायक प्रोफेसर और शोध के मुख्य लेखक ब्रेट ऐलो (Brett Aiello) का कहना है कि इंसानों की तरह, मडस्किपर्स आंखें सूख जाने पर पलकें झपकाती हैं. खास बात तो यह है कि इन मछलियों में टियर ग्लैंड या डक्ट नहीं हैं, फिरभी वे अपनी आंखों को नम करने के लिए अपने पलकें झपका सकती हैं. 
मछली ने पलक झपकने की क्षमता कैसे विकसित की, इसका पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने मडस्किपर की शारीरिक रचना की तुलना उन करीबी रिश्तेदारों से की, जो पलक नहीं झपकाते. उन्होंने पाया कि जीवों की आंखें डर्मल कप नाम की खिंचाव वाली झिल्ली में ढके एक सॉकेट के ऊपर विकसित हुई थीं और पलक झपकने के लिए उन्हें इस कप में नीचे की ओर खींचा जाता है, जैसे इंसान पलक झपकते हैं. 
शोधकर्ताओं का मानना है कि प्राचीन मछली को पलक झपकने के लिए कॉम्प्लेक्स एडैप्टेशन की ज़रूरत नहीं थी. इसके बजाय, मछली ने शायद अपने अल्पविकसित जीव विज्ञान (Rudimentary biology) में बदलाव के चलते यह क्षमता हासिल की होगी. 
साभार आज तक