नई दिल्ली. अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने की पाकिस्तान की मांग को लेकर तालिबान भड़क गया है. तालिबान के एक प्रवक्ता ने कहा है कि दूसरे देशों को तालिबान को समावेशी सरकार बनाने की नसीहत देने का कोई अधिकार नहीं है.
तालिबान के प्रवक्ता और उप-सूचना मंत्री जबीहुल्ला मुजाहिद ने ये बयान दिया है. पाकिस्तान और कई अन्य देशों ने तालिबान से अपील की है कि वे अफगानिस्तान में सबको साथ लेकर चलें और एक समावेशी सरकार का निर्माण करें. हालांकि तालिबान ने इस मसले पर अब तीखी प्रतिक्रिया दी है. जबीहुल्ला मुजाहिद ने डेली टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि पाकिस्तान या किसी अन्य देश को तालिबान से ऐसी बातें कहने का कोई अधिकार नहीं है.
इमरान खान ने कहा था, तालिबान के साथ हो रही है बातचीत
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहल इमरान खान ने स्वीकार किया था कि इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ बातचीत शुरू कर दी है कि उनकी सरकार समावेशी होनी चाहिए और उन्हें अल्पसंख्यकों को भी सरकार में शामिल करना चाहिए.
'क्या समावेशी सरकार बनाकर जासूसों को देश में घुसने दें?'
इससे पहले एक और तालिबानी लीडर मोहम्मद मोबीन ने भी जबीहुल्लाह जैसा बयान दिया था. मोहम्मद मोबीन ने अफगानिस्तान के एरियाना टीवी पर डिबेट के दौरान कहा था कि क्या समावेशी सरकार का ये मतलब है कि हमारे पड़ोसी देशों के प्रतिनिधि और जासूस हमारे देश और सिस्टम के अंदर मौजूद रहेंगे? मोहम्मद मोबीन के बयान के बाद से ही ऐसा माना जा रहा है कि तालिबान ऐसी किसी सरकार के समर्थन में नहीं हैं जिसमें दूसरे समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल हों.
हाल ही में जब तालिबान ने सरकार बनाई थी तो उसमें एक भी महिला प्रतिनिधि को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था. इसके बाद अफगानिस्तान की महिलाओं ने प्रोटेस्ट करते हुए कहा था कि सरकार में अगर कोई महिला ही शामिल नहीं होगी तो महिलाओं के अधिकारों को लेकर संवेदनशीलता कैसे बरती जाएगी? हालांकि पाकिस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने जोर देकर कहा था कि वे अपनी सरकार में अन्य समुदायों के प्रतिनिधित्व के साथ पूरी तरह से समावेशी हैं लेकिन तालिबान के पुराने कई दावों की तरह ही ये दावा भी गलत साबित हो रहा है.
साभार - aajtak.in