21 वर्ग किमी में 600 मेगावाट प्रोडक्शन; 10000 एकड़ में सिंचाई जितना पानी बचेगा
खंडवा। ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर बन रहे फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट के पहले चरण का काम आखिरी स्टेज में है। 12 वर्ग किलोमीटर में बन रहे प्लांट में मार्च के अंत तक 278 मेगावाट बिजली बनने लगेगी। यह प्रदेश का पहला ऐसा प्लांट है, जो बिजली बनाने के साथ इतना पानी भी बचाएगा कि करीब दस हजार एकड़ में सिंचाई की जा सके।
इसे ओंकारेश्वर में बैकवाटर से सटे गांवों में इंस्टॉल किया जा रहा है। तीन कंपनियों एएमपी एनर्जी ग्रीन सेवन लिमिटेड (एएमपीए), नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कॉपोर्रेशन लिमिटेड (एनएचडीसी) और सतलज जल विकास निगम (एसजेवीएन) ने बिजली उत्पादन के लिए करार किया है।
तीन प्लांट: इंधावड़ी, ऐखंड और केलवा खुर्द
एनएचडीसी ने इंधावड़ी गांव में 88 मेगावाट, एसजेवीएन ने ऐखंड गांव में 90 मेगावाट और एएमपी ने केलवा खुर्द में 100 मेगावाट का प्लांट तैयार किया है। बिजली सप्लाई लिए ऊर्जा विकास निगम ट्रांसफॉर्मर और पावर सब स्टेशन तैयार कर रहा है।
इसका निर्माण केंद्र सरकार की अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क योजना के तहत किया जा रहा है। इसे सोलर एनर्जी कॉपोर्रेशन आॅफ इंडिया लिमिटेड और मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड बना रहा है।
दूसरे चरण के भी टेंडर हो चुके हैं। दोनों चरणों की कुल क्षमता 600 मेगावाट है। कुल 21 वर्ग किलोमीटर एरिया में बन रहे प्रोजेक्ट की लागत 5 हजार करोड़ रुपए होगी।
10.08 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का वाष्पीकरण रुकेगा
जिस 12 वर्ग किमी पानी की सतह पर सोलर प्लेट लगी हैं, उस एरिया में 14.4 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी सालभर में वाष्पित होता है। नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अनुसार 70 प्रतिशत पानी का वाष्पन सोलर प्लेट के माध्यम से रुक जाता है। इस हिसाब से 10.08 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का वाष्पन रुकेगा। एक मिलियन क्यूबिक मीटर पानी से करीब 925 एकड़ में सालभर सिंचाई होती है। इस तरह करीब 93 हजार एकड़ से ज्यादा में सिंचाई हो सकती है।
कार्बन डाई आॅक्साइड में कमी होगी
नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अफसरों के मुताबिक प्रोजेक्ट की उम्र करीब 25 साल है। इस अवधि में 12 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई आॅक्साइड में कमी आएगी।
तूफान और तेज बहाव में भी रहेंगी सुरक्षित-
इंजीनियर्स के मुताबिक प्लांट के लिए फ्लोटर पानी की सतह पर लगाए गए। इसके बाद इनके ऊपर सोलर पैनल लगाए गए। फ्लोटर को आपस में एंकरिंग किया गया। सतह पर हुक लगाया गया है, ताकि यह पानी के तेज बहाव या तूफान की स्थिति में बहें नहीं। हालांकि, पानी का स्तर कम होने या बढ़ने की स्थिति में यह ऊपर नीचे तो होगा, लेकिन बहेगा नहीं।
मछुआरों के परिवार पर संकट, हाईकोर्ट पहुंचे
ओंकारेश्वर बांध का बैकवाटर मछली उत्पादन का मुख्य केंद्र है। बैकवाटर से सटे ऐखंड, बिलाया, गुंजारी समेत 6 गांवों में शासन से अधिकृत 6 समितियां हैं। इन समितियों से 400 मछुआरे जुड़े हैं। सोलर प्लेट लगने से एक साल से काम ठप है। मछुआरा संघ के अध्यक्ष शुभान सिंह का कहना है कि एक मछुआरा महीनेभर में लाख रुपए कमाता था, लेकिन अब कहीं के नहीं रहे। जबलपुर हाईकोर्ट में हमने जनहित याचिका लगाई है।
खंडवा
पानी पर तैरते सोलर प्लांट से अगले महीने मिलेगी बिजली
- 29 Feb 2024