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इंदौर

प्रकृति और पर्यावरण का विराट रूपक है भगवान गणेश

  • 05 Sep 2023

21 तरह के वनस्पति बीजों को डाल बनाई वनस्पति-विनायक की प्रतिमा
इंदौर। हमारी प्रकृति की तरह ही सरलता और भोलापन गणेश का स्वभाव है। प्रकृति की शक्तियों के प्रतीक होने के कारण वे एक साथ मासूम, शक्तिशाली, योद्धा, विद्वान, कल्याणकारी, शुभ-लाभ और कुशल-क्षेम के दाता हैं। गणेश के प्रति सम्मान का अर्थ है कि प्रकृति में मौजूद सभी जीव-जंतुओं, जल, हवा, जंगल और पर्वत का सम्मान है। उक्त उदगार मालवमंथन द्वारा माता जीजाबाई शासकीय(स्वशासी)स्नातकोत्तर कन्या अग्रणी महाविद्यालय,मोती तबेला, इंदौर में विसर्जन से सृजन के तहत ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा निर्माण की कार्यशाला में  प्राचार्य डॉ.श्री द्वीवेदी ने व्यक्त किए कार्यक्रम के आयोजक पर्यावरणविद स्वप्निल व्यास ने कहा हमारा शरीर पांच तत्त्वों से निर्मित है और इन तत्त्वों के पाँच अधिदेव माने गए हैं-आकाश के शिव देवता,वायु तत्त्व के भगवती देवता, अग्नि के सूर्य देव और पृथ्वी तत्त्व के श्री गणेश देवता हैं। इस बार वनस्पति विनायक की थीम पर प्रशिक्षण दिया गया जहाँ 21 तरह के  औषधीय पौधों के बीजों को मिट्टी में डाल कर  ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा  का प्रशिक्षण महाविद्यालय की छात्राओं को दिया प्रशिक्षण फाइन आर्टिस्ट रानू व्यास ने दिया  । कार्यक्रम की संयोजक डॉ. प्रतिभा सोलंकी  थी । वहीं कार्यक्रम में महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की डॉ.शबनम खान, डॉ. शमीर्ला चौहान, डॉ पिंकी कोठारे उपस्थित रही आभार डॉ. प्रकाशनी तिवारी ने माना कार्यशाला में 61 प्रतिमा बनाई गई ।