आईआईआईडी के ज्ञानाजर्न में स्टूडेंट्स ने एक्सपट्र्स से जाना पर्यावरण सहेजने के तरीके
इंदौर। पौधे लगाना, नई तकनीक इस्तेमाल करना, प्राकृतिक रौशनी और हवा का ख़्याल रखना तो एक डिजाइन के लिए आधारभूत है, लेकिन पर्यावरण हितैषी होने का सही अर्थ है कि घरों के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा नेचर फ्रैंडली वस्तुओं का उपयोग करना। निर्माण में जितने सादगी होगी वो भविष्य के लिए उतना ही उपयोगी और लंबे समय तक चलने वाला हो। यह बात शनिवार को इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन इंटीरियर डिजाइनर्स (आईआईआईडी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ह्यज्ञानाजर्नö में पुणे से आए प्रोफेशनल आर्किटेक्ट्स ने ड्राइंग पैरलल विषय पर कही। एक्सपर्ट रंजीत वाघ और अंबर डार वाघ ने कहा कि यदि हमें चार लोगों के लिए घर बनाना है और क्लाइंट की मांग बीस हजार स्क्वेयर फुट की कंस्ट्रक्शन प्लानिंग की है तो हमे उनको गाइड करना चाहिए की इस प्लानिंग में गार्डन, लोकल पथरों का प्रयोग और एक सुकून देने वाला इंटीरियर हो जिससे घर कंक्रीट के दीवार के बजाए पर्यावरण से घिरी खूबसूरत प्लानिंग नजर आए।
कश्मीर में लकड़ी और केरल में लाल पत्थर इस्तेमाल
अंबर ने बताया डिजाइन करते समय जगह और स्थानीय सामग्री का ही इस्तेमाल होना चाहिए। ताकि डिजाइन देखकर उस जगह से रिश्ता दिखाई दे। जब हम केरल के लिए डिजाइन तैयार करेंगें तो लाल पत्थर ही प्राथमिकता होगी यह वातावरण के लिए भी सही होगा साथ ही क्लाइंट के लिए बजट फ्रेंडली और आसानी से उपलब्ध होगा। जबकि कश्मीर में हम लकड़ी और उस पर नक्काशी का इस्तेमाल करेंगे जो स्थानीय संस्कृति और उपलब्धता के लिहाज से सही हैे यहाँ डिजाइन में खुलापन कम होगा ताकि ठंड से बचाव हो सके।
इंदौर
प्रकृति के अनुकूल घरों का निर्माण है जरूरी
- 12 Jun 2023