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रांची

पारसनाथ को मरांग बुरु घोषित करने की मांग

  • 10 Jan 2023

रांची। केंद्र सरकार ने 6 जनवरी को पारसनाथ पहाड़ी को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने संबंधी अधिसूचना को वापस ले लिया। केंद्र सरकार ने झारखंड के गिरिडीह जिले में जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र में पर्यटन और इको पर्यटन से जुड़ी हर गतिविधि पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ये निर्णय लिया। केंद्र सरकार के फैसले के बाद ऐसा लगा था कि विवाद थम गया है।
2 दिन पहले गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी आदिवासी समुदाय और जैन मतावलंबियों के बीच एक समझौता करवाया था जहां दोनों ने ही एक दूसरे की आस्था का सम्मान करते हुए पूजा-अर्चना करने पर सहमति जताई थी। हालांकि, विवाद अभी थमा नहीं है। आदिवासियों ने अब पारसनाथ को मरांग बुरु स्थल घोषित करने की मांग की है। आज यानी मंगलवार को गिरिडीह के मधुबन में आदिवासियों का महाजुटान है। 
सम्मेद शिखरजी विवाद क्या है? केंद्र सरकार के फैसले के बाद आदिवासी नाराज क्यों हैं? पारसनाथ को मरांग बुरु स्थल घोषित करने की मांग क्यों जोर पकड़ रही है? इस स्टोरी में इन्हीं विषयों की चर्चा करेंगे। 10 जनवरी को मरांग बुरु पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में बड़ी संख्या में आदिवासियों का महाजुटान गिरिडीह स्थित मधुबन में हो रहा है। यहां पारसनाथ को मरांग बुरु घोषित करने की मांग की जाएगी। इस सभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम भी शिरकत करने वाले हैं। दरअसल, सोमवार को लोबिन हेंब्रम ने सम्मेद शिखरजी विवाद को लेकर कहा था कि हम जैन धर्म की आस्था का सम्मान करते हैं लेकिन पारसनाथ पर किसी का कब्जा नहीं होने देंगे।
साभार लाइव हिन्दुस्तान