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बाबा पंडित

प्रायश्चित जप

  • 03 Mar 2022

पूर्वजन्म या इस जन्म का जो भी कुछ पाप-ताप है, उसे निवृत्त करने के लिए अथवा संचित नित्य दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रायश्चितरूप जो जप किया जाता है उसे प्रायश्चित जप कहते हैं ।
कोई पाप हो गया, कुछ गल्तियाँ हो गयीं, इससे कुल-खानदान में कुछ समस्याएँ हैं अथवा अपने से गलती हो गयी और आत्म-अशांति है अथवा भविष्य में उस पाप का दंड न मिले इसलिए प्रायश्चित – संबंधी जप किया जाता है ।
ॐ ऋतं च सत्यं चाभिद्धात्तपसोऽध्यजायत ।
ततो रात्र्यजायत तत: समुद्रो अर्णव: ।।
समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत ।
अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी ।।
सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्वमकल्पयत् ।
दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व: ।। (ऋग्वेद :मंडल १०, सूक्त १९०, मंत्र १ - ३ )
इन वेदमंत्रों को पढ़कर त्रिकाल संध्या करें तो किया हुआ पाप क्षय हो जाता है, । इस प्रकार की विधि है ।
-बाबापण्डित, http://www.babapandit.com