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पूर्व सीआरपीएफ जवान की पत्नी, इकलौता बेटा जिंदा जले

  • 10 Jun 2024

रीवा में भिड़े थे ट्रक; ड्राइवर बच्चों से कहकर गया था- लौटने पर मिठाई लाऊंगा
रीवा। रीवा में दो ट्रकों की भिड़ंत में चार लोग जिंदा जल गए। मृतकों में पूर्व सीआरपीएफ जवान के पत्नी - बेटा भी शामिल हैं। पूर्व सीआरपीएफ जवान नागपुर में प्राइवेट जॉब करते हैं। पत्नी - बेटा उनके यहां कुछ दिन रहकर घर लौट रहे थे।
शनिवार शाम को हुए हादसे में दोनों ट्रक के ड्राइवर - हेल्पर की भी मौत हुई है। ट्रक ड्राइवर के चार बच्चे हैं। सबसे छोटी बच्ची तो सिर्फ 6 महीने की ही है। वह बच्चों से कहकर निकला था कि दो दिन में लौट आऊंगा, आते समय खुरचन (मिठाई) लेकर आऊंगा। ट्रक ड्राइवर रीवा से प्रयागराज जा रहा था।
दूसरे ट्रक को हेल्पर चला रहा था। यह ट्रक महाराष्ट्र से रीवा आ रहा था। इसका ड्राइवर कंपनी के अन्य ट्रक में सवार था। हेल्पर, पूर्व सीआरपीएफ जवान का परिचित था, इसीलिए उनके पत्नी - बेटा उसके साथ ट्रक से रीवा लौट रहे थे।
पत्नी - बेटा कहकर निकले थे चिंता मत करना
इंद्रपाल मुंडा (40) ने इकलौते बेटे चेतन मुंडा उर्फ गोल्डी (19) और पत्नी सविता मुंडा (40) को खो दिया। दोनों शुक्रवार को नागपुर से रीवा के लिए निकले थे। रीवा जिले के गुढ़ में कैथा गढ़ के रहने वाले थे। इंद्रपाल ने बताया कि वह पहले सीआरपीएफ में थे। खराब स्वास्थ्य की वजह से नौकरी छोड़ दी थी। पिता और दोनों भाई एसआरपीएफ में हैं। पत्नी - बेटा शुक्रवार को यह कहकर निकले थे कि चिंता मत करना हम सही सलामत पहुंच जाएंगे। दोनों को खो दिया।
बच्चों को बोला था दो दिन में लौट आऊंगा-
ट्रक ड्राइवर संतोष केवट (33) रीवा के महसाव के रहने वाले थे। परिजन रूपा केवट ने बताया कि संतोष उनकी भाभी के भाई थे। उनके चार बच्चे हैं- चांद (10), अमन (12), बेटू (3) और बेटी 6 महीने की है। घर के इकलौते कमाने वाले थे। शुक्रवार दोपहर 2.30 बजे बच्चों को यह कहकर घर से निकले थे कि दो दिन बाद लौट आऊंगा। आते वक्त रामपुर बघेलान की मशहूर खुरचन लेकर आऊंगा। रूपा बताती हैं कि जानकारी मिलने पर हम घटनास्थल पहुंचे। हमने पुलिसवालों से पूछा- संतोष की लाश कहां है? उन्होंने जब शव निकाला तो हम पहचान नहीं सके। शव बुरी तरह जल चुका था कि हमने अपनी आंख बंद कर ली।
बेटा हर महीने पैसा बचाकर भेजता था
ट्रक हेल्पर सतीश केवट (22) गढ़ के रहने वाले थे। पिता राम प्रकाश केवट ने बताया कि सतीश घर में सबसे छोटा था, इसीलिए सभी का चहेता था। पैसे बचा कर उन्हें हर महीने भेजते था। उन्होंने बताया कि हम गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। किसी महीने 2 हजार तो किसी महीने 4 हजार रुपए भेज देता था। इससे उनकी छोटी - बड़ी जरूरतें पूरी होती थीं और खर्च चलाने में काफी मदद मिल जाती थी।