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पुलिस कमिश्नर सिस्टम- मुख्यालय में हलचल बढ़ी, सेटअप और नोटिफिकेशन की तैयारियां तेज

  • 23 Nov 2021

भोपाल। भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद पुलिस मुख्यालय में इस सिस्टम का सेटअप और नोटिफिकेशन तैयार करने की कवायद तेज हो गई है। डीजीपी विवेक जौहरी लखनऊ से कल भोपाल लौट आए।
वे पीएचक्यू नहीं पहुंचे लेकिन उन्होंने एडीजी संजीव शमी से पुलिस कमिश्नर सिस्टम की कार्ययोजना पर चर्चा की। पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के अनुसार संजीव शमी को डीजीपी ने सेटअप और नोटिफिकेशन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। संजीव फिलहाल चयन एवं भर्ती शाखा के एडीजी हैं।
रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की घोषणा की, तब प्रदेश के डीजीपी विवेक जौहरी लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने डीजी कांफ्रेंस में मौजूद थे। श्री जौहरी ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को बताया कि मध्यप्रदेश के दो शहरों में यह सिस्टम लागू करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री दोनों ने श्री जौहरी को इसके लिए बधाई दी और कहा कि मुख्यमंत्री ने यह अच्छा निर्णय लिया है।
नई व्यवस्था नगर निगम सीमा में ही लागू होगी
नई व्यवस्था नगर निगम सीमा क्षेत्र में ही लागू होगी। ग्रामीण क्षेत्र में पुलिस की पुरानी व्यवस्था ही चलेगी। ग्रामीण क्षेत्र के थाने का कुछ हिस्सा यदि शहरी क्षेत्र में आता है तो भी वह ग्रामीण क्षेत्र ही माना जाएगा। इस थाने से एसडीएम कोर्ट में ही प्रतिबंधात्मक धाराओं, जिलाबदर, एनएसए आदि की प्रकरण प्रस्तुत किए जाएंगे।
यह अधिकार होंगे प्राप्त
कमिश्नर सिस्टम में मजिस्ट्रीयल पावर के तहत पुलिस को गोली चलाने के आदेश, लाठी-चार्ज के आदेश, कफ्र्यू, धारा 144, प्रतिबंधात्मक धाराओं में आरोपी को जेल भेजने के अधिकार, एनएसए, जिला बदर आदि अधिकार प्राप्त होंगे। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे।
कलेक्टर के पास यह रहेंगे अधिकार
आबकारी और खनिज से जुड़े मामले कलेक्टर के पास ही रहेंगे। पुलिस अभिरक्षा में आरोपी की मृत्यु होने पर मजिस्ट्रीयल इन्क्वायरी करने का अधिकार केवल कार्यपालिक मजिस्ट्रेट यानी कलेक्टर के पास रहेगा। वहीं, नगर निगम के पास ट्रैफिक सिग्नल लगाना, रोड मार्किंग करना जैसी जिम्मेदारियां यथावत रहेंगी। पुलिस को जिला प्रशासन और नगर निगम से तालमेल बैठाकर ही काम करना होगा।
जिन शहरों में कमिश्नर सिस्टम, वहां अपराधों में आई कमी
एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जिन शहरों में कमिश्नरेट सिस्टम (सीसी) लागू है वहां अपराधों में कमी आई है, जबकि जहां नॉन कमिश्नरेट सिस्टम (एनसीसी) यानी जहां पुलिस अधीक्षक व्यवस्था है वहां अपराधों का ग्राफ बढ़ा है। भोपाल और इंदौर में नई व्यवस्था लागू होने से अपराधों के ग्राफ में कमी आएगी। एनसीआरबी ने मेट्रोपोलिटन सिटी के 2019 में दर्ज आईपीसी के अपराधों की समीक्षा की है। जिसमें सामने आया है कि जिन शहरों में एनसीसी है वहां सीसी की तुलना में अपराध ज्यादा होते हैं। सर्वे के अनुसार सीसी में एक लाख व्यक्ति पर 439.5 अपराध आईपीसी के दर्ज होते हैं, जबकि एनसीसी में एक लाख व्यक्ति पर 510 अपराध आईपीसी के दर्ज किए जाते हैं। इसके अलावा सीसी में एक लाख व्यक्ति में 1.87 और एनसीसी में 3.08 लोगों की हत्या हुई।
अपहरण के मामले दोगुना से अधिक हैं। सीसी में एक लाख व्यक्ति में 11.1 और एनसीसी में 24.7 लोगों का अपहरण हुआ। अपहरण के मामले में सीसी में 72.2 प्रतिशत और एनसीसी में 66.9 प्रतिशत लोग दस्तयाब किए गए। एनसीसी में महिला संबंधी अपराध अधिक होते हैं। जिसमें एक लाख व्यक्ति में एनसीसी में 127.43 और सीसी में 71.07 महिलाओं के साथ अपराध हुए।
कोर्ट में चालान और सजा का ग्राफ भी मेट्रोपोलिटन सिटी में अधिक है। सीसी में 68.6 प्रतिशत और एनसीसी में 55.5 प्रतिशत चालान कोर्ट में पेश हुए। सीसी में 69.5 प्रतिशत मामलों में सजा हुई, वहीं एनसीसी में 61.1 प्रतिशत को कोर्ट ने सजा सुनाई है। सीसी में मजिस्ट्रीयल पावर पुलिस के पास आने से पुलिस अधिकारी स्वयं ही निर्णय लेते हैं, जिससे अपराधों का निराकरण जल्द होता है।