28 अक्टूबर 2021 गुरुवार को सुबह 09:42 से 29 अक्टूबर को सूर्योदय तक गुरुपुष्यमृत योग है ।
१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति। पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है। उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये। ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें
कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में
बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।
गुरूपुष्यामृत योग
‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है। पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं। ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य:।’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है। पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है।
इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं। (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)
-बाबापण्डित, http://www.babapandit.com
बाबा पंडित
पुष्य नक्षत्र योग
- 27 Oct 2021