मुरैना। यातायात थाने के सिपाही हरेंद्र जाट की मौत को करीब ढाई महीने हो चुके हैं। बावजूद पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही। यहां तक कि मौके से मिला सुसाइड नोट भी पुलिस ने हरेंद्र के घरवालों को नहीं सौंपा है। सुसाइड नोट में थाने के कुछ लोगों पर प्रताडऩा का आरोप लगाया था। परिजनों ने पुलिस पर मामले को जानबूझकर दबाने का आरोप लगाया है।
11 अप्रैल 2021 को कॉन्स्टेबल हरेंद्र जाट ने ट्रैफिक थाने के कमरे में फांसी लगा ली थी। देवेन्द्र जाट बड़ा भाई एयरफोर्स में है। इस वक्त जोधपुर में पदस्थ है। हरेन्द्र अविवाहित था। हरेन्द्र के परिजनों का आरोप है कि इस आत्महत्या कांड में यातायात थाने के अधिकारी फंसे हुए हैं। हरेन्द्र मरने से पहले सुसाइड नोट में यह लिखकर दे चुका है। इन अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई पुलिस ने नहीं की है। देवेन्द्र जाट ने बताया कि जब उसने अपने भाई का सुसाइड नोट मांगना चाहा, तो तत्कालीन कोतवाली थाना प्रभारी आरती चराटेे ने यह कहते हुए नहीं दिया कि इसे फोरेंसिक लैब में भेजेंगे। मामले में एसपी ललित शक्यवार का कहना है कि मैं इस मामले की डायरी मंगाकर देखूंगा। इस मामले की विवेचना करवाई जाएगी।
मुरैना
फाइलों में दफन सिपाही की मौत!
- 26 Jun 2021