कोविड में जंकफूड नहीं खाने और मास्क लगाने से घट गए थे 80 प्रतिश मरीज
भोपाल। शहर में बीते 4 साल में अस्थमा मरीजों के बीच एक बड़ा ट्रेंड दिखाई दिया है। साल 2019 में शहर में जहां 12 प्रतिशत बच्चे और 4 प्रतिशत व्यस्क (एडल्ट) अस्थमा से पीडि़त थे तो वहीं अब बच्चों की संख्या 14प्रतिशत और एडल्ट की 6प्रतिशत हो गई है। खास बात यह है कि कोरोना की तीनों लहर यानी साल 2020 व 2021 में क्लीनिक में आने वाले अस्थमा से पीडि़त बच्चों की संख्या घटकर सिर्फ 5 से 6प्रतिशत रह गई थी, जबकि बड़ों की महज 2प्रतिशत बची थी।
यह खुलासा गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) द्वारा की गई स्टडी एवं ऑब्जरवेशन रिपोर्ट में हुआ। जीएमसी रेस्पिरेटरी पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. लोकेंद्र दवे ने बताया कि अस्थमा के 7 प्रमुख कारण होते हैं। जंकफूड, डस्टमाइट, कॉकरोच, पॉल्यूशन, आम व सोयाबीन से निकलने वाले पराग कण, सीपेज से होने वाले फंगस और गाजर घास।
कोविड के समय लोगों ने जंकफूड खाना छोड़ दिया था और मास्क की वजह से बाकी एलर्जी का असर न के बराबर रह गया। सबसे बड़ी बात यह कि समय पर दवाइयां लीं और हेल्दी भोजन किया, लेकिन अब एक बार फिर लोग पुराने तौर तरीकों से जी रहे हैं।
इनहेलर का उपयोग करने वालों को नहीं हुआ था कोविड
स्टडी में इस बात का भी पता चला कि जिन्होंने रेगुलर इनहेलर का इस्तेमाल किया, उन्हें कोविड नहीं हुआ। एम्स, हमीदिया में आने वाले व रेगुलर इनहेलर का इस्तेमाल करने वाले 90त्न मरीज कोविड से सुरक्षित रहे। एम्स में इनहेलर को कोविड ट्रीटमेंट में उपयोग भी किया था।
मौसम के हिसाब से भी बदलते हैं कारण
जीएमसी के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट द्वारा की गई ऑब्जरवेशन स्टडी में पता चला कि पूरे साल में अस्थमा के अलग-अलग कारण रहते हैं, पर 50त्न में एलर्जी कारण होता है। 4 साल पहले की गई रिसर्च में इसका उल्लेख है कि मार्च-अप्रैल में आम से निकलने वाले पराग कण से एलर्जी होती है। अगस्त-सितंबर में सीपेज से बने फंगस और अक्टूबर-नवंबर में सोयाबीन से निकले पराग कण एलर्जी बढ़ाते हैं। इसके अलावा पूरे साल में तीन कारण से एलर्जी होती है। पहला- डस्ट-माइट नामक कीड़ा, जो खुली आंखों से दिखाई नहीं देता, लेकिन एलर्जी की वजह बनता है। दूसरा- कॉकरोच और तीसरा गाजर घास के पराग कण, जो पूरे साल अस्थमा का कारण बनते हैं।
भोपाल
फिर बढऩे लगे अस्थमा के मरीज
- 03 May 2022