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जबलपुर

फॉरेंसिक डॉक्टर की रिपोर्ट ने खोली मर्डर मिस्ट्री, वृद्ध दंपती को उसके भतीजे ने बका से मारकर जला दिया था, जादू-टोने का शक था

  • 18 Jan 2022

जबलपुर। जबलपुर में वृद्ध दंपती की हत्या कर शव को उसके भतीजे ने जलाया था। इस मर्डर मिस्ट्री को शुरूआत में हादसा मानने वाली पुलिस की जांच फारेंसिक डॉक्टर की रिपोर्ट के बाद बदली। जायदाद में हिस्सा न देने, एक साल पहले बड़े भाई द्वारा किए गए आत्मदाह के लिए आरोपी बड़े पापा और बड़ी अम्मा के जादू-टोने को ही कसूरवार मानता था। इसी खुन्नस में उसने इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया।
ये थी घटना
बरगी के चौरई गांव के बाहर खेत में मकान बनाकर रहने वाले दंपती का शव 10 जनवरी को सुबह मिला था। दंपती सुमेरीलाल कुलस्ते (60) और उनकी पत्नी सियाबाई (55) का शव जलकर कोयला हो चुका था। इसकी जानकारी बहू मंजू कुलस्ते सुबह 8 बजे खेत में पहुंची तब हुई। दरअसल खेत में बंधे उसकी गाय, बैल आदि मवेशी गांव पहुंच गए थे। उनकी रस्सी कटी थी। इसी का कारण पता लगाने बहू मंजू कुलस्ते पहुंची तो वहां का नजारा देख सन्न रह गई थी।
हादसा के एंगल से शुरू की जांच, पीएम से बदली दिशा
सूत्रों की मानें तो पुलिस पहले इसे हादसे के एंगल से जांच करने में जुटी थी। पर पीएम के बाद फारेंसिक डॉक्टर ने धारदार हथियार से हत्या के बाद शव जलाने की बात कही। इसके बाद पुलिस की जांच की दिशा बदली। दंपती के बारे में पता चला कि वे झांड़-फूंक करते थे। गांव वालों में किसी से संबंध अच्छे नहीं थे। खुद की औलाद परेशान होकर 13 सालों से ससुराल में रह रहा है। पुलिस ने बेटे को भी उठा लिया।
जमीन विवाद का भी एंगल आया सामने
गांव वालों से पुलिस को पता चला कि सुमेरीलाल कुलस्ते का जमीन को लेकर भाई सुक्लू कुलस्ते और कंधीलाल कुलस्ते उर्फ गुड्डा से विवाद था। बड़ा सुमेरीलाल हिस्सा नहीं दे रहा था। कंधीलाल से इसे लेकर विवाद भी हुआ था। पुलिस ने सुमेरीलाल के बेटे के बाद दूसरे संदिग्ध के तौर पर कंधीलाल को उठाया। वहीं जांच के दौरान ये भी सामने आया कि कंधीलाल का बेटा दयाराम घटना की रात तक घर में था। इसके बाद से नहीं दिख रहा है। पुलिस ने दयाराम के गांव के साथी विशाल को उठाया। विशाल ने बताया कि दयाराम अपने बड़े पिता व बड़ी मां से परेशान था अक्सर मारने की बात करता था। पुलिस ने दयाराम को भी उठाया।
तीन संदेही में एक आरोपी को चिन्हित करने में छूटे पसीने
पुलिस के पास तीन संदेही थे। हत्या कोई नहीं स्वीकार कर रहा था। ऐसे में पुलिस ने एक तांत्रिक से मदद ली। तंत्र-मंत्र में भरोसा करने वाले संदेहियों को इसका भय दिखाया गया तो भतीजे दयाराम ने हत्या की बात स्वीकार कर ली। बोला कि बडे पिता सुमेरी और बड़ी मां सिया बाई जादू टोना कर हमारे परिवार को परेशान करते थे। उसके भाई सीताराम ने इनके कारण ही पांच साल पहले आत्मदाह कर ली थी। उसके पिता के हिस्से की जमीन पर कब्जा कर लिया था। जहां भी मिलते उस और उसके पिता को भला-बुरा कहकर गालियां देते थे। बडे पिता के सामने आने पर उसका शारीर कांपने लगता था। जंगल में जहां पत्तियां अधिक होती, वहां बकियों को नहीं ले जाने देता। बकरी पालन करके ही वह बहन की शादी करना चाहता था। पर वो भी नहीं कर पा रहा था।
नौ जनवरी की रात 11 बजे खेला खूनी खेल
दयाराम नौ जनवरी की रात 11 बजे बका लेकर खेत वाले मकान पर पहुंचा। वहां बड़े पिता सुमेरी लाला और बड़ी मां सियाबाई को सोता पाया। उसने दोनों के सिर व चेहरे पर ताबड़तोड़ कई वार कर डाले। फिर चारपाई के नीचे सूखी लकडिय़ों का गठ?्ठर डाला। मिट्?टी का तेल डालकर आग लगा दी। ईट की दीवार के ऊपर चाबी मिल गई। कमरे में गया तो देव-दिवाला नहीं दिखा। सब्बल लेकर कमरे में कई जगह खुदाई भी की।
चाबी आग में फेंकी, जानवरों की रस्सी काटकर घर चला गया
इसके बाद कमरे को बंद कर निकल आया और चाबी आग में फेंक दी। मवेशियों को नुकसान न हो इस कारण रस्सी काट दी। वारदात में प्रयुक्त चाकू जहां खेत में फेंक दिया। वहीं बका टेमर नदी में फेंक दिया। खून से सने पैंट-शर्ट धोने के बाद वह घर पहुंचा और सो गया। इसके बाद दूसरे दिन सुबह गांव के प्रहलाद के साथ काम पर निकल गया। पहने गए कपड़े लोवर टीशर्ट भी जबलपुर ले गया। वहां कपड़ों को जला दिया। वहां से अपने साले के घर ग्राम हिनौतिया भोई बरेला जा छुपा था। वहीं से पुलिस ने उसे दबोचा था।