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उज्जैन

फिल्मी स्टाइल में 5 महीने बाद मिला लापता बेटा

  • 12 Nov 2022

महाकाल दर्शन को आए पिता बोले- बाबा ने आशीर्वाद देने बुलाया
उज्जैन। यह कहानी बिल्कुल फिल्मी लगती है। एक पिता 5 महीने से गुम अपने बेटे के मिलने की मन्नत मांगने उत्तर प्रदेश के कासगंज से महाकाल की नगरी उज्जैन आया। बुधवार को उन्होंने बाबा के दरबार में अर्जी लगाई इसके करीब एक घंटे बाद शहर के ही एक आश्रम में उनका बेटा मिल गया।
यह कहानी है कासगंज जिले के रामसिंहपुरा सोरो में रहने वाले श्रीकृष्ण कुमार की। उन्होंने बताया कि पांच महीने पहले मानसिक रूप से कमजोर उनका 17 साल का बेटा पंकज छत पर सो रहा था। सुबह उठे तो वह नजर नहीं आया। पहले गांव, फिर आसपास के जिलों में खोजा। अलीगढ़, बरेली और दिल्ली में रहने वाले रिश्तेदारों से भी पूछताछ कर ली। बेटे का कहीं पता नहीं चला।
महाकाल की चौखट पर ऐसे पहुंचा पिता
उत्तर प्रदेश से महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए श्रीकृष्ण कुमार के दोस्त पवन समाधिया आ रहे थे। उन्हें श्रीकृष्ण कुमार ने बताया था कि उनके परिवार ने बेटे के मिलने पर बाबा महाकाल के दर्शन की मन्नत मांगी है। समाधिया ने सोचा क्यों न श्रीकृष्ण को भी साथ ले चलूं। दर्शनों के साथ वह बेटे पंकज के लिए भगवान महाकाल से कामना कर लेगा।
आश्रम का पता कैसे चला?
समाधिया ने बताया कि वे उज्जैन आते-जाते रहते हैं। उन्हें किसी ने बताया था कि अंकित ग्राम स्थित सेवाधाम आश्रम में बेसहाराओं को पनाह दी जाती है। यहां पहुंचकर हमने सबसे पहले बाबा महाकाल के दर्शन किए फिर सोचा क्यों न एक बार आश्रम में जाकर बेटे के बारे में पता कर लें। हम शहर से 14 किमी दूर आश्रम पहुंचे और संस्थापक सुधीर भाई गोयल से मिले। बेटे का फोटो देखते ही सुधीर भाई बोले कि श्रीकृष्ण का खोया बेटा पिछले तीन महीने से इसी आश्रम में रह रहा है। बेटे को सामने देखकर पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़ते हैं। पिता बस इतना ही कह पाए कि भगवान महाकाल ने आशीर्वाद देने के लिए ही उज्जैन बुलाया था।
पंकज आश्रम में कैसे पहुंचा?
पंकज 29 जुलाई को उज्जैन में हीरा मिल की चाल रोड पर दयनीय हालत में पड़ा हुआ था। उसे देखकर चाइल्ड-लाइन ने देवास गेट पुलिस को सूचना दी। बच्चे को बाल कल्याण समिति में पेश किया गया। यहां से श्री रामकृष्ण बालगृह में भेज दिया गया। काफी प्रयास के बाद उसने अपना नाम पंकज निवासी उत्तर प्रदेश बताया था। यहां तक आने का जरिया पूछने पर इतना ही बता पाया था कि वह ट्रेन में सवार हुआ था, उसके बाद नीचे गिरा। उज्जैन कैसे पहुंचा, उसे नहीं पता। हां उसने अपने हाथ में उज्जैन आकर महाकाल लिखवाया था।