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बांग्लादेश पासपोर्ट - 'इजरायल को मान्यता नहीं, यात्रा पर लागू रहेंगे प्रतिबंध'

  • 24 May 2021

नई दिल्ली. बांग्लादेश के पासपोर्ट पर एक वाक्य लिखा होता था- इजरायल को छोड़कर. बांग्लादेश की सरकार ने 22 मई को अपने पासपोर्ट से यह वाक्य हटाने की घोषणा की थी. बांग्लादेश की सरकार के इस कदम को इजरायल के प्रति रुख में बदलाव की तरह देखा जा रहा था और इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इसका स्वागत करते हुए राजनयिक संबंध स्थापित करने की वकालत तक कर डाली थी.
अब, बांग्लादेश सरकार की ओर से बयान जारी कर यह साफ किया गया है कि इजरायल को लेकर उसकी नीति में, उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. वह अब भी इजरायल को मान्यता नहीं देता है और यात्रा प्रतिबंध लागू रहेंगे. बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉक्टर एके अब्दुल मोमेन ने रविवार को ढाका में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हमने पासपोर्ट से यह वाक्य हटाने का निर्णय छह महीने पहले ही ले लिया था जब हमने ई-पासपोर्ट लॉन्च किया था.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा कि यह हमारे पासपोर्ट के मानकीकरण के लिए है. इजरायल को लेकर हमारी विदेश नीति पहले जैसी ही रहेगी. हम इजरायल के साथ संबंध स्थापित करने नहीं जा रहे हैं. उन्होंने यह भी साफ किया कि वे फिलस्तीन के लोगों के संघर्ष का समर्थन करते हैं और टू स्टेट सॉल्यूशंस का भी समर्थन करते हैं. विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर इजरायल को लेकर स्थिति स्पष्ट किया. बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हमारा ध्यान हाल ही में इजरायल के विदेश मंत्रालय की ओर से किए गए एक ट्वीट पर गया जिसमें अब जारी किए जा रहे ई-पासपोर्ट से इजरायल की यात्रा पर लागू प्रतिबंध हटाने का स्वागत किया गया है.
इस बयान में कहा गया है कि बांग्लादेशी ई-पासपोर्ट में यह बदलाव अंतर्राष्ट्रीय मानक पूरे करने के लिए किया गया है. मध्य पूर्व को लेकर हमारी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. बांग्लादेशी पासपोर्ट धारकों के लिए इजरायल की यात्रा पर प्रतिबंध लागू रहेगा. हम अपनी पुरानी नीति पर कायम हैं. बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने अल अक्सा मस्जिद परिसर और गाजा में इजरायल की ओर से किए गए हमलों की भी निंदा की.
द डेली जुगांतर के वरिष्ठ पत्रकार मसूद करीम ने इसे लेकर कहा कि यह तकनीकी मामला है. इजरायल के साथ संबंध स्थापित करने की बांग्लादेश की कोई राजनीतिक इच्छा नहीं है. यह विदेश नीति नहीं, गृह मंत्रालय का एक प्रशासनिक निर्णय है. उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि यदि यह विदेश नीति का मामला होता तो गृह मंत्रालय को विदेश मंत्रालय के साथ चर्चा करनी चाहिए थी लेकिन दोनों मंत्रालयों के बीच इसे लेकर बिल्कुल भी चर्चा नहीं हुई. मसूद ने कहा कि वास्तव में पासपोर्ट एक पहचान है और पहचान को मानकों के अनुरूप होना चाहिए. 
credit- aajtak.in