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बैतूल

बाघ का शिकार- जहर खाते ही बेसुध हुआ तो डंडों से पीटकर मारा

  • 03 Aug 2021

बैतूल। मुलताई रेंज के छिंदवाड़ गांव में दिसंबर 2017 में दो भाइयों ने बाघ का शिकार किया था। इसका खुलासा 29 जुलाई को पांढुर्ना के आरोपी मोतीलाल को बाघ की खाल और पंजे का सौदा करते समय मुखबिर की सूचना पर महाराष्ट्र की बॉर्डर पर पकडऩे के बाद हुआ। आरोपी को नागपुर डिविजन वन मंडल की टीम और छिंदवाड़ा रेंजर की टीम ने पकड़ा था। उसने बताया कि बाघ का शिकार उसके दो भांजों ने किया है। वे ही उसे खाल और पंजे देकर गए थे। इस आधार टीम ने छिंदवाड़ गांव से 31 जुलाई को शिकार करने वाले दोनों भाई रामभाऊ और रामदेव मर्सकोले को पकड़ा। नागपुर वन विभाग और दक्षिण वनमंडल बैतूल की टीम ने आरोपियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि रामभाऊ और रामदेव मर्सकोले सगे भाई हैं इन्होंने ही बाघ को मारा था। उन्होंने बताया के वे खेत में काम कर रहे थे इसी दौरान पास ही जंगल में उनकी गाय चर रही थी जिसका बाघ ने शिकार कर लिया था। चिल्लाने पर बाघ गाय के शव को छोड़कर चला गया था। दोनों को इस बात की जानकारी थी कि बाघ वापस लौटकर शिकार को खाने आएगा। गुस्से में दोनों ने गाय के शव पर जहरीला पदार्थ डाल दिया। बाद में बाघ आया और गाय का मास खाने लगा जहर से वह बेसुध हो गया था। इसके बाद दोनों भाईयों ने डंडों से पीटकर उसको मार डाला। इसके बाद उसके पंजे काटकर और खाल उतारकर इसे गाड़ दिए। टीम ने बताया कि दोनों भाई एक-दूसरे पर जहर देने और डंडे मारने की बात कह रहे हैं।