परिवारों को मिलाने के साथ बुजुर्ग महिलाओं की भी बनी साथी
इंदौर। वन स्टॉप सेंटर में श्रीमती मालती (परिवर्तित नाम) को रोहित हिरवे आदिनाथ वेलफेयर सोसायटी फील्ड ऑफिसर और रैन बसेरा की सुश्री किरण पाल अपने साथ लेकर आए थे। चूंकि रैन बसेरा पर सिर्फ पुरुषों के रहने की व्यवस्था है अत: रैन बसेरा की अधिकारी सुश्री रूपाली ने मालती जी को तत्काल वन स्टॉप सेंटर ले जाने के लिए कहा।
मालती जी को केंद्र पर पहुंचते ही चाय नाश्ता देकर रिलैक्स कर उनसे उनकी व्यथा पूछी गई।
उनके अनुसार उनका।बेटी से झगड़ा हुआ था तब बेटी ने गुस्से में कह दिया था, निकल जा घर से, मर जा, इस बात से विचलित होकर वो बेटी दामाद को बिना बताए अगली सुबह घर छोड़कर निकल गईं।उनसे पूछ-ताछ कर निरंतर प्रयास किया जा रहा था की उनके घरवालों का नंबर या पता मिल जाए।
अगले दिन दोपहर उनके बेटी दामाद उन्हे ढूंढते हुए, जानकारी मिलने पर केन्द्र पर आए।इस दौरान प्रशासक डाॅ. वंचना सिंह परिहार ने उनके हाल चाल पूछे, समस्त स्टॉफ को हिदायत दी की इनके खाने पीने और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें क्योंकि वे बुजुर्ग भी थी और साथ ही पैरालिसिस का माइल्ड अटैक हो चुकने से हाथ में भी दिक्कत थी।बेटी दामाद के आने के पूर्व भी परामर्शदात्री सुश्री अल्का फणसे ने उनका परामर्श किया जिसमे ये बात सामने आई की वो विधवा है, दो बेटियों में छोटी बेटी और दामाद उन्हे सम्हाल रहे हैं । कोविड के चलते बड़ी बेटी भी दो साल से एक भी बार अपने साथ देवास नही ले गई जिससे वे आहत थीं, छोटा दामाद बहुत अच्छा है पूरा ख्याल रखता है नज़र कमजोर हो गई है, तो ठीक से देख नहीं पा रही इसी के चलते ६ साल के पोते को ५ के स्थान पर ४ बजे ही कोचिंग भेज दिया। बेटी काम से थककर लौटी तो माँ की लापरवाही की वज़ह से कहासुनी हो गई और माँ के कहने पर की मैं ही चली जाती हूँ, बेटी के चली जा कहने से आगे की घटना हो गई।मालती जी वन स्टॉप सेन्टर के माहौल और डॉ. परिहार के दिलासे से बहुत संतुष्ट थी। और बेटी से इथनी रुष्ट थीं की घर ही नहीं जाना चाहती थी।बेटी दामाद को परामर्श देकर समझाया गया, बेटी को समझाया गया कि आप इतना अच्छा ख्याल रखते हो तो थोड़ा संयम भी रखना सीखो।बुजुर्गौ को सम्मान देना आपका कर्तव्य और उनका अधिकार दोनों है। बढ़ती उम्र की समस्याओं से सभी को दो चार होना पड़ता है।
बुजुर्ग जो आपकी माँ है उनसे,इस तरह की भाषा में बात करना सरासर ग़लत है, अगर फिर कभी ऐसी शिकायत आई तो सिनियर सिटिजन एक्ट के तहत कार्यवाही हो सकती है।
बड़ी बेटी दामाद भी आ गये थे,उन्हें भी समझाया की माँ को सम्हालना दोनों का कर्तव्य है, हर दो माह में ८ दिन के लिए आप भी माँ को लेकर जाओगे।परामर्शदात्री सुश्री अलका द्वारापोते को दादी से मिलवाया गया, केन्द्र पर समस्या लेकर आने वालों की कहानियां बताकर समझाया गया कि बेटा भी न रखे उससे ज़्यादा ख्याल दामाद रखता है तो आप भाग्यशाली हो, बेटी से हम लिखवा लेंगे की अब वो किसी भी परिस्थिति में ऐसे शब्दों से उन्हें आहत नहीं करेगी। इस सब के पश्चात मालती जी घर जाने को राजी हुईं, तब बेटियों से उन्हें गले मिलवाया गया तब जाकर उनका गुस्सा और तकलीफ कम हुए और उनकी आँखों में आँसू आ गऐ।
अंतत: हमेशा की तरह केस वर्कर सुश्री शिवानी श्रीवास ने सारी लिखा पढ़ी पूर्ण की और प्रशासन डॉ. वंचना परिहार ने उन्हें विश्वास दिलाया की भविष्य में कभी कोई समस्या हो तो आप बेझिझक हमसे संपर्क करें। आखिर मालती जी पूरे परिवार के साथ सहर्ष रवाना हुईं।