चंडीगढ़। एकल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए बेटे द्वारा 76 वर्षीय मां के खिलाफ दाखिल याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग अभिभावकों की देखभाल करना नैतिक ही नहीं बल्कि मेंटीनेंस आॅफ पेरेंट्स एंड वेलफेयर आॅफ सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत बाध्य कर्तव्य भी है।
याचिका दाखिल करते हुए बेटे ने बताया कि फतेहाबाद में उसकी मां ने मेंटीनेंस आॅफ पेरेंट्स एंड वेलफेयर आॅफ सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत शिकायत दी थी। शिकायत में कहा गया कि याची ने उससे दुकान ट्रांसफर करने को कहा था लेकिन धोखे से मकान भी ट्रांसफर करवा लिया और अब वह न तो उनकी देखभाल करता है और उल्टा उसे प्रताड़ित किया जाता है।
शिकायत पर एसडीएम ने मां द्वारा बेटे के नाम की गई मकान और दुकान की ट्रांसफर डीड को खारिज कर दिया था और याची को आदेश दिया था कि वह अपनी मां को हर माह 2 हजार रुपये गुजारा भत्ता दे। अपील पर सुनवाई करते हुए डीसी ने एसडीएम के आदेश को खारिज करते हुए याची को राहत दे दी।
याची की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की तो सिंगल बेंच ने डीसी के फैसले को खारिज करते हुए एसडीएम के आदेश को ही बरकरार रखा। अपील दाखिल करते हुए अब याची ने सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा कि याची की यह दलील की एसडीएम ने याची की मां को मांग से ज्यादा दिया जो अधिकार क्षेत्र के बाहर है सही नहीं है, क्योंकि एक्ट के तहत उसे संज्ञान लेने का अधिकार है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि एसडीएम के आदेश में कोई खामी नहीं है। ऐसे में याची को कोई राहत नहीं दी जा सकती।
राज्य
बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल करना नैतिक ही नहीं बल्कि बाध्य कर्तव्य भी है - पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
- 22 Jul 2021