केक लेकर लौट रहा था; परिवार-पुलिस एक्सीडेंट मानते रहे, पता चला मर्डर हुआ
रीवा। तीन मासूमों के सिर से पिता का साया उठ गया। 7 साल के बेटे को तो थोड़ी-बहुत समझ है, लेकिन 2 साल का बेटा और 1 साल की बेटी को ये बताया नहीं जा सकता कि पापा अब नहीं आएंगे...। उनकी आंखें पापा को ढूंढ रही हैं, कब वे आकर उन्हें दुलारेंगे।
मासूमों के पिता को ड्राइवर ने ट्रक चढ़ाकर मार डाला। इसका पता घटना के दूसरे दिन गुरुवार देर शाम चला। इससे पहले तक पुलिस और परिजन हादसा ही मान रहे थे।
केक लेने गए, मौत की खबर आई
घटना बुधवार, 2 अक्टूबर की शाम की है। बेटी का बर्थडे था। सीमा कुशवाहा ने बताया, ह्यपति रामजी कुशवाहा (35) मुझे बोलकर निकले थे कि बच्ची का जन्मदिन मनाने की तैयारी करो। मैं केक, चॉकलेट और डेकोरेशन का बाकी सामान लेकर आता हूं। थोड़ी देर बाद खबर बाई कि उन्हें ट्रक ने कुचल दिया है।
ट्रक की टक्कर के बाद टुकड़ों में निकाला था शव
गोविंदगढ़ थाने से 1 किलोमीटर दूर सेमरिया गांव लौट रहे रामजी कुशवाहा को ट्रक ने पहले टक्कर मारी, फिर ट्रांसफॉर्मर से टकरा गया। रामजी कुशवाहा का शव ट्रक और बाइक में बुरी तरह फंस गया था। शव को टुकड़ों में इकट्?ठा किया गया। परिजन और गांव के लोग रीवा - गोविंदगढ़ रोड पर धरने पर बैठ गए थे। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से सभी को समझाया था।
दोस्त ने बताया- ये हादसा नहीं, हत्या
रामजी कुशवाहा के दोस्त रजनीश साकेत ट्रक ड्राइवर है। बुधवार को रजनीश के ट्रक और आरोपी अनिल बैरागी के ट्रक में मामूली टक्कर हो गई थी। दोनों झगड़ रहे थे। इतने में यहां से रामजी का गुजरना हुआ। रजनीश ने आवाज देकर रामजी को बुलाया। रामजी की भी आरोपी अनिल बैरागी से बहस हो गई, इसके बाद सभी अपने-अपने रास्ते निकल गए।
रजनीश के मुताबिक, इसके आधे घंटे बाद आरोपी अनिल ने रामजी पर ट्रक चढ़ाकर हत्या कर दी। घटना वाले दिन डर की वजह से उसने इस बात की जानकारी पुलिस को नहीं दी।
ट्रक मोड़कर हत्या करने लौटा आरोपी
गोविंदगढ़ थाना प्रभारी शिव अग्रवाल ने बताया, आरोपी अनिल बैरागी रीवा से धनपुरी (शहडोल) जा रहा था। जांच में पता चला कि गोविंदगढ़ में हुए झगड़े के बाद वह अपना ट्रक लेकर आगे बढ़ गया, लेकिन बीच रास्ते से ट्रक मोड़कर वापस आया। रामजी घर लौट रहा था, तभी उस पर ट्रक चढ़ा दिया।
रामजी के तीन बच्चे हैं। वह अकेला कमाने वाला था। रामजी अब दुनिया में नहीं रहा। उसके बच्चों का क्या होगा। रामजी कहता था कि बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाऊंगा। उनकी परवरिश में कोई कमी नहीं होने दूंगा। बच्चे अभी छोटे हैं, इसलिए पत्नी भी उन्हें छोड़कर मेहनत-मजदूरी नहीं कर पाएगी। हम बुजुर्ग हो चुके हैं, हमारी सांसों का भी कोई ठिकाना नहीं। अब इनका जीवन कैसे कटेगा, यही चिंता खाए जा रही है।
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बेटी के बर्थडे पर पिता की ट्रक चढ़ाकर हत्या
- 05 Oct 2024