राजगढ़। राजगढ़ में बंदर की मौत के बाद नगर भोज किया गया। खिलचीपुर के डालूपुरा गांव में सोमवार को दिए गए इस नगर भोज में 50 ङट तक दूर गांव से लोग शामिल हुए। करीब 5 हजार लोगों ने खाना खाया। बंदर की मृत्यु से दुखी ग्रामीणों ने चंदा कर इस भोज का आयोजन किया। इसके लिए कार्ड भी छपवाए गए थे।
बंदर का अंतिम संस्कार भी बैंड बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकालकर किया गया था। तीसरे दिन अस्थियां उज्जैन में विसर्जित की गई थीं। ग्रामीण हरि सिंह ने बंदर के लिए मुंडन करवाकर परिवार के सदस्य की तरह ग्यारहवीं का कार्यक्रम संपन्न किया। ग्रामीणों का मानना है कि बंदर हनुमानजी का ही रूप हैं।
मृत्यु भोज पर एक नजर
ग्रामीणों में चंदा कर मृत्यु भोज कराया।
10 क्विंटल आटा, 450 लीटर छाछ, 350 लीटर तेल, 2.5 क्विंटल शक्कर, एक क्विंटल बेसन से बना भोजन और 10 हजार दोने-पत्तल लगे।
50 ङट दूर तक के गांवों में निमंत्रण दिया।
स्कूल परिसर में भव्य पंडाल लगाया गया।
खाने में नुक्ती, सेव, पुड़ी और कढ़ी बनी।
5 हजार से ज्यादा लोगों ने खाना खाया।
भोज में आए ग्रामीणों ने हरि सिंह को तिलक लगाकर कपड़े भेंट दिए।
बंदर के मृत्यु भोज के लिए कार्ड भी छपवाया गया।
बंदर के मृत्यु भोज के लिए कार्ड भी छपवाया गया।
बंदर को ठंड लगी थी, डॉक्टर को भी दिखाया था
29 दिसंबर की रात को बंदर की मौत हो गई थी। बंदर सुबह जंगल की ओर से गांव में आ गया था। वह दिनभर उछल-कूद करता रहा। फिर रात करीब 8 बजे ठंड से कांपते हुए एक घर के सामने आकर बैठ गया। यह देख लोगों ने बंदर के पास अलाव जलाया, गर्म कपड़े पहनाए, लेकिन बंदर की तबीयत ठीक नहीं हुई तो खिलचीपुर ले जाकर डॉक्टर को दिखाया। इलाज के बाद ग्रामीण उसे वापस ले आए, जहां रात 2 बजे बंदर की मृत्यु हो गई।
बैंड-बाजे के साथ निकाली गई थी बंदर की अंतिम यात्रा
30 दिसंबर को पूरा गांव हनुमान मंदिर पहुंचा। महिलाएं भी बंदर की अंतिम यात्रा में शामिल होने मंदिर पहुंचीं। यहां बंदर के लिए अर्थी सजाई गई। इसके बाद नारियल रखकर बंदर को नमन किया गया। इसके बाद अंतिम यात्रा मुक्तिधाम के लिए रवाना हुई। आगे-आगे बैंड वाले चले। वहीं, पीछे से महिलाएं भजन गाती हुई मुक्तिधाम तक गईं। गांव के बिरम सिंह चौहान ने बताया कि विधि-विधान से बंदर का अंतिम संस्कार किया गया।
उज्जैन
बंदर की मौत पर नगर भोज, 50 किमी. दूर से 5 हजार लोग खाने आए
- 11 Jan 2022