( जन्म- 17 जनवरी, 1888 - मृत्यु- 13 अप्रैल, 1963)
भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, निबंधकार और व्यंग्यकार थे। वे हमेशा सरल साहित्य को प्रमुखता देते थे, जिससे हिन्दी भाषा जन-जन तक पहुँच सके। गुलाबराय जी ने दो प्रकार की रचनाएँ की हैं- दार्शनिक और साहित्यिक। उनकी दार्शनिक रचनाएँ उनके गंभीर अध्ययन और चिंतन का परिणाम हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में शुद्ध भाषा तथा परिष्कृत खड़ी बोली का प्रयोग अधिकता से किया है। आधुनिक काल के निबंध लेखकों और आलोचकों में बाबू गुलाबराय का स्थान बहुत ऊँचा है। उन्होंने आलोचना और निबंध दोनों ही क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा और मौलिकता का परिचय दिया है। बाबू गुलाबराय का जन्म 17 जनवरी, 1888 को इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता भवानी प्रसाद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनकी माता भी भगवान श्रीकृष्ण की उपासिका थीं। वे सूरदास और कबीर के पदों को तल्लीन होकर गाया करती थीं। माता-पिता की इस धार्मिक प्रवृत्ति का प्रभाव बाबू गुलाबराय पर भी पड़ा। गुलाबराय की प्रारंभिक शिक्षा मैनपुरी में हुई थी। अपनी स्कूली शिक्षा के बाद उन्हें अंग्रेज़ी शिक्षा के लिए ज़िले के विद्यालय में भेजा गया। गुलाबराय ने 'आगरा कॉलेज' से बी. ए. की परीक्षा पास की। इसके पश्चात् 'दर्शनशास्त्र' में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करके गुलाबराय जी छतरपुर चले गए।
व्यक्तित्व विशेष
बाबू गुलाबराय
- 13 Apr 2022