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इंदौर

भोपाल में शादी हुई पति को थी गांजे की लत, पत्नी फिर भी कर रही थी ग्यारह साल से पति के सुधरने का इन्तजार

  • 13 Oct 2021

वन स्टॉप सेंटर ने दोनो को किया एक,पति को दिया सुधरने के लिये छह माह का समय
इन्दौर। एक मुस्लिम युवती ने वन स्टॉप सेंटर पर आवेदन किया की साल भर से, मै इंदौर में अपनी मांँ के पास रह रही हूँ। पूछने पर बताया कि पति आठ आठ दिन बिन बताए घर से चले जाते थे, मुझे गंदी गालियां देना, किसी के साथ भी मेरा नाम जोड़ना, बेटियों की फीस न भरना, मुझे 10/20 रू भी खर्च के लिए न देना इन समस्याओं से परेशान होकर मैं अपनी मां के पास आ गई थी।
पति को मेरी और बच्चो की कोई परवाह नहीं, यहां घर से ही किराना बेचकर थोड़ा बहुत कमा लेती हूं। बाकी सारा  खर्च मां ही उठाती है।
ऐसे पति के साथ रहकर मै क्या करूं??11 साल सोचती रही सुधरेगा ,पर नही सुधर रहा मेरी सास, देवर सब अच्छे हैं, पूरी मदद करते हैं। साथ ही रहते थे,पर मैं उन पर कब  बोझ बनूं! सास ने सिलाई सिखवाई वहां भी पति ने,आकर नाटक किए 
मुझे तो आप भरण पोषण दिलवा दो।
महिला की व्यथा सुनकर समझ आया की पति क्या भरण पोषण दे पायेगा।
मामला सुलझाने के लिये पति को भोपाल से इन्दौर वन स्टॉप सेंटर बुलाया गया।दोनों की बातों की सच्चाई जानने के लिए महिला के देवर से भी फोन पर बात की गई। तब ज्ञात हुआ पति गांजा पीता है और उसी धुन में उसे परिवार का होश नही रहता।
पत्नी से पूछा गया की क्या पति को एक मौका और देना चाहोगे?
महिला के सहमत होने पर पति पत्नी की काउंसलिंग की गई। पति को धीरे धीरे गांजे की लत से बाहर आने के उपाय बताए गए, समझाया गया की गांजा खरीदना, बेचना, पीना सब अपराध है, इसके लिए सजा होती है।
फिर कुछ अंतराल के बाद फिर दोनों को परामर्श के लिए बुलाया गया, तब पति के भाई से फोन पर बात कर पता किया गया की उसकी नशे की लत में कुछ फर्क पड़ा है क्या?? भाई के हां कहने पर दोनों पति पत्नी के बीच कुछ शर्तों के साथ समझौता किया गया। पत्नी को रेडीमेड की सिलाई  का काम करने देने की समझाइश पति को दी गई, ताकि कुछ कमाई हो और बच्चों की फीस भरी जा सके।और पति को 6 माह का समय दिया गया की वह नियमित रूप से काम पर जायेगा, 200 रु रोज मां को घर खर्च में देगा और 500 रु महीना पत्नी को हाथ खर्च के देगा। पीड़िता को समझाया की अगर सास देवर सब साथ देते हैं और वो भी पति से ही नाराज हैं तो पति नही सुधरे तो उसे ही घर से निकाल देना। क्योंकि सास भी बहु और बच्चों के साथ रहने में सहमत थी।इस तरह 6 माह का समय देकर दोनों को बच्चों के साथ भोपाल रवाना किया गया।
बॉक्स-छोटी छोटी बातों से अपना परिवार ना तोड़े,एक बार वन स्टॉप जाकर परिवार को जोड़े।