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भोपाल से इंदौर तक बना ग्रीन कारिडोर, मृत शिक्षक की किडनी ने मरीज को दिया जीवनदान

  • 16 Apr 2024

इंदौर। शिक्षक सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देते हैं, बल्कि वे जीने और उज्ज्वल भविष्य की राह भी दिखाते हैं। सागर जिले के एक शिक्षक ने मृत्यु के बाद किसी का जीवन कैसे बचाया जा सकता है, यह ज्ञान भी दिया। सोमवार को भोपाल से इंदौर के बीच ग्रीन कारिडोर बनाया गया। 200 किमी का रास्ता तय कर पहुंची किडनी ने एक मरीज को नया जीवन दिया। ब्रेनडेथ के बाद मरीज की किडनी इंदौर में भर्ती एक मरीज को मिली।
पेशे से शिक्षक जिला सागर ग्राम देवरी के निवासी 54 वर्षीय हरिशंकर धिमोले का अंगदान भोपाल में हुआ। इससे दो लोगों को नया जीवन मिला है। शुक्रवार को ब्रेन हेमरेज के बाद धिमोले को सागर से आगामी उपचार के लिए भोपाल भेजा गया था। बेटे अनिल ने बताया कि पिता शिक्षक होने के साथ समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक भी करते थे। वे शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। उन्होंने अंगदान की इच्छा जताई थी। उनकी एक किडनी अस्पताल में भर्ती मरीज और दूसरी इंदौर के चोइथराम अस्पताल में भर्ती 59 वर्षीय पुरुष मरीज को मिली।
चार जिलों में पुलिस ने संभाली व्यवस्था
ग्रीन कारिडोर बनाकर एंबुलेंस भोपाल से दोपहर 12.30 बजे रवाना हुई और 2.45 घंटे में इंदौर पहुंची। इसके लिए चार जिले इंदौर, देवास, सीहोर और भोपाल के पुलिस अधिकारियों ने व्यवस्था संभाली थी। सभी जगह पुलिस बल तैनात किया गया, ताकि एंबुलेंस को बिना जाम में फंसे इंदौर तक पहुंचाया जा सके। अस्पताल में डाक्टरों ने पहले से ही आपरेशन की तैयारी कर ली थी। जैसे ही किडनी अस्पताल लाई गई, डाक्टरों ने प्रत्यारोपण शुरू किया।
परिवार में खुशियां लेकर आई नवरात्र
मरीज के स्वजन ने बताया कि हम लंबे समय से किडनी का इंतजार कर रहे थे। यह नवरात्र हमारे परिवार में नई खुशियां लेकर आई है। मरीज को किडनी मिलने में अस्पताल के डा. अमित भट्ट, डा. अनिल लखवानी, मुस्कान ग्रुप के जीतू बगानी और संदीपन आर्य का सहयोग भी रहा।
एक घंटे में तय किया कि किडनी किसके पास जानी है
डीन डा. संजय दीक्षित ने बताया कि हमारे पास सुबह 7.30 बजे मरीज की सूचना आई थी। इसके बाद एक घंटे में तय कर लिया था कि यह किडनी किसके पास जानी है। सुबह 10 बजे किडनी लाना तय हुआ। इसके लिए चर्चा कर वहीं के डाक्टरों की टीम के साथ किडनी को बुलवाया। इससे समय की भी बचत हुई। यह पहली बार हुआ है, जब किडनी वहीं से आई और हमें लेने भी नहीं जाना पड़ा।