नई दिल्ली। DRDO यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की मदद से भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। रविवार को लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास अत्यधिक तेज गति से और हवाई रक्षा प्रणालियों से बचते हुए हमला करने की क्षमता वाला हथियार है।
भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत में विकसित किया गया है। PIB के अनुसार, इस हाइपरसोनिक मिसाइल को सशस्त्र बलों के लिए 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न विस्फोटक सामग्री ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। जानकार हाइपरसोनिक सिस्टम्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में गेम चेंजर भी मानते हैं।
हाइपरसोनिक यानी आवाज से 5 गुना ज्यादा और इसे मैक5 भी कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो प्रति सेकंड एक मील की रफ्तार हो सकती है। हाइपरसोनिक मिसाइलों को अत्यधिक गतिशील और तेज माना जाता है क्योंकि वे बीच में ही रास्ता बदल सकती हैं। HGV यानी हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल्स दो तरह के हाइपरसोनिक हथियार होते हैं। अब HGV को रॉकेट से लॉन्च किया जाता है। जबकि, HCM हाई स्पीड इंजन या स्क्रैमजेट्स से संचालित होती हैं।
हाइपरसोनिक मिसाइलों की एक खास बात यह भी है कि विमानों की तरह ये ग्लाइड करने के लिए पंख या टेल फिन्स जैसे एयरोडायनैमिक कंट्रोल सर्फेस पर निर्भर होते हैं, न कि अंतरिक्ष यान की तरह थ्रस्टर्स पर निर्भर होते हैं। कंट्रोल सर्फेस को काम करने के लिए हवा की जरूरत होती है। ऐसे में गतिविधियां करने के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल को वायुमंडल में होना जरूरी है।
आम तौर पर, पारंपरिक आयुध या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलें समुद्र तल पर प्रति घंटे ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक (तकरीबन 1,220 किलोमीटर या पांच मैक) गति से उड़ान भर सकती हैं। हालांकि, कुछ एडवांस्ड हाइपरसोनिक मिसाइलें 15 मैक से अधिक की गति से उड़ान भर सकती हैं।
साभार लाइव हिन्दुस्तान
दिल्ली
भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की, हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया

- 18 Nov 2024