लखनऊ. म्यांमार से मानव तस्करी करने वाला गिरोह के संबंध में छानबीन कर रहे प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को रविवार को कई महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लगे हैं। यह गिरोह रोहिंग्या समुदाय के इन नागिरकों को भारत में लाकर फर्जी दस्तावेज बनवा देता है। इसके लिए सबसे पहले भारतीय नागरिकों के राशन कार्ड में उनका नाम शामिल कराया जाता है। गिरोह के इन मददगारों पर भी एटीएस का शिकंजा कसने वाला है।
एटीएस के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले माह दो रोहिंग्या नागरिकों की गिरफ्तारी के बाद गिरोह के बारे में अहम जानकारी हाथ लगी। गिरफ्तार दोनों रोहिंग्या सगे भाई हैं लेकिन दोनों को अलग-अलग स्थानों से पकड़े गए थे। दोनों म्यांमार के रोहिंग्या नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराने और फर्जी दस्तावेजों के सहारे उन्हें भारतीय नागरिक के रूप में स्थापित करने का धंधा करते थे। एटीएस ने एक आरोपी शाहिद को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया था, जबकि उसके भाई फारूख उर्फ हसन को गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के परी चौक से गिरफ्तार किया था।
जांच के दौरान एटीएस को जानकारी मिली कि यह गिरोह म्यांमार निवासी रोहिंग्या नागरिकों को बांग्लादेश सीमा से अवैध से रूप से भारत लाता है। बाद में उनका यूएनएचसीआर (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय) में पंजीकरण कराकर उन्हें अलीगढ़, आगरा, उन्नाव व मथुरा आदि जिलों में बसा देता है। इन नागरिकों को प्रदेश के विभिन्न जिलों में चलने वाली मीट फैक्ट्रियों में मजदूर के रूप में नौकरी भी दिलवा दी जाती है। धीरे-धीरे यह गिरोह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड व पासपोर्ट आदि भी तैयार करा देता है। इसके बदले यह गिरोह उनसे धनउगाही करता है। एटीएस फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में मददगार भारतीय नागरिकों की भी तलाश कर रही है। एटीएस को इस गिरोह के एक मास्टर माइंड के बारे में भी जानकारी मिली है जिसका नेटवर्क पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडू व केरल जैसे प्रदेशों तक फैला हुआ है।
credit- लाइव हिन्दुस्तान
देश / विदेश
भारत में कैसे मिलती है रोंहिग्या को नागरिकता, यूपी एटीएस के हाथ लगे कई महत्वपूर्ण साक्ष्य
- 05 Apr 2021