आखिर मतदाता किसके पक्ष में, जानने ेको सभी उत्सुक, हो रहा 3 तारीख का इंतजार
इंदौर। इंदौर जिले के साथ पूरे प्रदेश में कुछेक विवादों को छोड़ दिया जाए तो विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हुआ। सबसे बड़ा आश्चर्य तो इस बात का है कि इस बार रिकार्ड तोड़ मतदान हुआ और इस मतदान के बाद अब चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों के लिए आने वाली 03 तारीख नया सवेरा लेकर आएगी। वहीं मतदान का प्रतिश बढऩे के बाद किसी को चिंता सता रही है तो कोई प्रत्याशी खुश नजर आ रहा है। हालांकि सभी राजनीतिक दल और प्रत्याशी यह तय नहीं कर पा रहे हैं। मतदाताओं का आशीर्वाद किसके पक्ष में गया है। मतदाताओं ने किसका पक्ष लिया और किसका नहीं। इसे लेकर मतदान के दूसरे ही दिन से पार्टी नेताओं और प्रत्याशियों में मंथन हो रहा है।
सर्दी में गर्मी का अहसास
दरअसल 3 तारीख तक का इंतजार प्रत्याशियों को सर्दी में भी गर्मी का अहसास दिला रहा है। अभी 3 दिसंबर को देर है। वक्त काटना प्रत्याशियों से ज्यादा उनके चेले और सहयोगियों को मुश्किल हो रहा है। क्योंकि छोटे नेताओं का भविष्य उनके आकाओं पर ही टिका है। वहीं इस बार भाजपा ने पूरी तरह से गुजरात पैटर्न पर चुनाव लड़ा। आला संगठन ने प्रदेश में ही नए-नए प्रयोग कर अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए कई तरह की कवायदें की हैं। इसके साथ ही प्रत्येक विधानसभा पर विधानसभा प्रभारी, विधानसभा संयोजक भी बनाए थे। बूथ प्रभारी, बूथ संयोजक, बूथ अध्यक्ष के साथ-साथ शक्ति केन्द्र के संयोजकों की नियुक्ति भी की गई थी।
देख रहे परिणाम की राह
अब इसके बाद भाजपा के पक्ष में किस तरह का परिणाम आएगा, इसकी राह भी संगठन देख रहा है, लेकिन उसके पहले ही सभी नगर एवं जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि वे सभी वार्डों से डाटा मंगवाए और पिछले डाटा के आधार पर उसका तुलनात्मक विश्लेषण करें, ताकि मालूम चल सके कि संगठन के लोगों ने किस प्रकार की मेहनत की है।
किस सीट पर फायदा, किस पर नुकसान
3 दिसम्बर को चुनाव परिणाम आना है, लेकिन उसके पहले ही रिपोर्ट तैयार कर भोपाल भिजवाना है। इससे एक आकलन भी हो जाएगा कि भाजपा को किस सीट पर फायदा होगा और किस पर नुकसान। इस रिपोर्ट में 2018 का डाटा भी मांगा गया है। वैसे इंदौर में विधानसभा स्तर पर अच्छा मतदान हुआ है और सबसे ज्यादा मतदान ग्रामीण क्षेत्र के देपालपुर में हुआ।
कांग्रेस भी कर रही सरकार का दावा
कांग्रेस भी सरकार बनाने का दावा कर रही है। नेताओं का कहना है कि सीटों को लेकर भी हम डाटा इक_ा कर रहे हैं, ताकि जानकारी निकाली जा सके कि कहां-कितना मतदान हुआ है और वह कांग्रेस के लिए कितना लाभदायक साबित होगा। चुनाव में ज्यादा मतदान और महिलाओं में खास उत्साह को दोनों दल अपने पक्ष में मान रहे हैं। भाजपा का दावा है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना का जादू चल गया, बहनों ने अधिक से अधिक वोट किया। सरकार की योजनाओं के कारण एससी-एसटी व ओबीसी वर्ग का प्रो-विकास वोट भाजपा को मिला। सरकार के खिलाफ कोई एंटी-इंकमबेंसी नहीं थी। पार्टी के बूथ मैनेजमेंट के कारण उनके पक्ष के ज्यादा वोट पड़े और मतदान प्रतिशत बढ़ा। उधर, कांग्रेस का तर्क है कि बहनें ही नहीं सरकार से सभी वर्ग नाराज हैं, ज्यादा मतदान से उनकी नाराजगी झलकी है। भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी भी चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा जिससे लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया। भाजपा की लाड़ली बहना योजना का कोई असर नहीं रहा बल्कि कांग्रेस के नारी सम्मान योजना के वचन को चुनाव में काफी समर्थन मिला।