उज्जैन। शरद पूर्णिमा पर बुधवार को ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में शरद उत्सव मनाया जाएगा। संध्या आरती में भगवान महाकाल को केसरिया दूध का भोग लगेगा। योगी मत्स्येंद्रनाथ की समाधि पर भी विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। आयुर्वेद के अनुसार पूर्णिमा की धवन चांदनी से अमृत की वर्षा होगी, इसकी रोशनी में दूध व खीर रखकर सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे वर्षभर आरोग्यता बनी रहती है।
शरद पूर्णिमा शरद ऋतु के आगमन का दिन है। इस दिन से सर्दी की शुरुआत मानी जाती है। धर्मधानी में ऋतु चक्र के परिवर्तन के उत्सव की शुरुआत सबसे पहले महाकाल मंदिर से होती है। ज्योतिर्लिंग की परंपरा के अनुसार शरद पूर्णिमा पर भगवान महाकाल को तड़के 4 बजे भस्मारती तथा शाम को 7.30 बजे संध्या आरती में चांदी के पात्र में केसरिया दूध का भोग लगाया जाता है।
परंपरा अनुसार पूजा अर्चना के पश्चात भगवान महाकाल को केसरिया दूध का भोग लगाया जाएगा। इधर गढ़कालिका माता मंदिर के समीप स्थित योगी मत्स्येंद्रनाथजी की समाधि पर शाम को चादर चल समारोह निकलेगा। पश्चात समाधि पर चादर चढ़ाई जाएगी। मध्यरात्रि में भक्तों को खीर प्रसाद का वितरण होगा। शिप्रा तट के समीप स्थित सिद्ध आश्रम में अमृत चांदनी में अस्थमा के रोगियों को दवा का सेवन कराया जाएगा।
आरोग्यदाता है शरद पूर्णिमा की चांदनी
प्रधान वैद्य पवन गोपीनाथ व्यास के अनुसार शरद पूर्णिमा की चांदनी आरोग्यदाता है। शरद पूर्णिमा की चांदनी में दूध व खीर रखकर मध्य रात्रि पश्चात सेवन करने से श्वास, खांसी, एलर्जी आदि रोगों का शमन होता है। साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शरद पूर्णिमा के चंद्रमा की रोशनी वनस्पतियों पर पडऩे से उनमें रोगहर तथा आरोग्यतावर्धक रस की वृद्धि होती है। वर्षभर आयोग्यता के लिए प्रत्येक व्यक्ति को इस दिन चंद्रमा की रोशनी में दूध व खीर रखकर सेवन करना चाहिए।
उज्जैन
महाकाल को संध्या आरती में लगेगा केसरिया दूध का भोग
- 20 Oct 2021