इंदौर। दूसरों के घरों में झाड़ू, पोछा से लेकर बर्तन मांजने और कपड़े धोने आदि का कार्य करने वाली कामकाजी महिलाओ को आज भी कम वेतन और पारिश्रमिक मिल रहा है, लेकिन प्रभावी कानून के अभाव मे घरेलू कामकाजी महिलाएं कुछ नहीं कर पाती है। अत: सरकार इन महिलाओ के हितो और उनकी सुरक्षा के लिए कानून बनाये।
ये विचार एडवोकेट शीला एस के है जो उन्होंने विभिन्न बस्तियों में काम करने वाली घरेलू कामकाजी महिला कामगारो को संबोधित करते हुए कहे। एडवोकेट रुद्रपाल यादव ने कहा कि यदि सरकार हमारी आवाज को नही सुनती है तो सभी कामकाजी महिलाओ को मिलकर आंदोलन करना चाहिए और एक ज्ञापन श्रम मंत्रालय को भी देना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता प्रभा यादव ने कहा कि सरकार ने कामगारो के अंधिकाश अधिकारों को समाप्त कर उन्हें 4 भागो में बाट दिया और उस पर नियंत्रण मालिकों का हैं। कामगारो की मांगो पर किसी का भी ध्यान नहीं है। सरकार घरेलू कामगारो को पीएफ दे, पेंशन दे, सामाजिक सुरक्षा बीमा दे। महीने में कम से कम 4 साप्ताहिक अवकाश दे। एडवोकेट पूजा तिवारी ने कामगार महिलाओ के अधिकार बताये। सारिका श्रीवास्तव ने कहा कि हर कामगार महिला को उसके किये गए कार्य का उचित पारिश्रमिक मिलना चाहिए।
इंदौर
मांगो को लेकर श्रम विभाग को ज्ञापन देंगे
- 22 Feb 2024