180 पौधों से हर साल कमा रहे 2.5 से तीन लाख, अब 5 एकड़ में रोपे 400 पौधे
खंडवा। खरगोन जिले का नुरियाखेड़ी गांव। यहां रहने वाले 35 साल के कृष्णपाल सिंह तोमर किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। खेती-किसानी का जिम्मा आ गया। 40 एकड़ जमीन में पहले की तरह ही गेहूं, सोयाबीन और मिर्च की खेती करते रहे। ट्रेडिशनल खेती से लागत तक निकलना मुश्किल हो गया। कर्ज बढ़ता गया। खेती से होने वाली आमदनी दिनों-दिन कम होती जा रही थी। हालात बदलने के लिए कृष्णपाल ने बागवानी करने का निर्णय लिया। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं दिखा।
जैविक खाद के लिए बकरी पालन किया
कृष्णपाल सिंह ने बताया कि नींबू के लिए किसान मित्र ने बकरी के गोबर वाले खाद को उपयोगी बताया। पहले तो बाजार से बकरी का गोबर लाते थे, लेकिन जरूरत बढ़ती गई तो खुद ही बकरी पालन शुरू कर दिया। अब 40 बकरियां पाल रहे हैं। इनके गोबर का उपयोग नींबू के खेत के खाद के रूप में करते हैं। अब स्थिति यह है कि बागवानी के अलावा खेत के लिए जैविक खाद घर पर ही तैयार हो जा रही है। बकरी के गोबर से बने खाद पौधे को स्वस्थ रखने और पैदावार बढ़ाने में मदद करता है। बकरी के गोबर की ओर कीड़े आकर्षित नहीं होते हैं। यह खाद गंधहीन होती है। मिट्टी के लिए फायदेमंद होती है। बकरी के गोबर की खाद में घोड़े और गाय के खाद की तुलना में नाइट्रोजन में अधिक होती है। इसमें औसतन 1 टन में 22 पाउंड नाइट्रोजन होता है। गाय की खाद में 1 टन में केवल 10 पाउंड नाइट्रोजन की मात्रा होती है।
खंडवा
मिर्च वाले निमाड़ में नींबू ने बनाया मालामाल
- 05 Aug 2022