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इंदौर

यातायात पुलिस को जितना चाहिए उतना नहीं मिला बल, ट्रेफिक की बदहाली भुगत रहे वाहन चालक

  • 15 Jun 2023

साढ़े चार हजार वाहन पर एक ट्रेफिक पुलिसकर्मी
इंदौर। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने की शुरूआत से ही जहां सबसे अधिक क्राइम कंट्रोल पर ध्यान दिया गया, वहीं महानगरों की तर्ज पर ट्रेफिक को सुधारने की बात भी कही जा रही थी। इसके चलते ट्रेफिक पुलिस और आरटीओ के साथ ही जिला प्रशासन व नगर निगम के अधिकारियों ने कई योजनाएं भी बनाई और यातायात पुलिस को 190 जवानों का बल भी उपलब्ध करा दिया गया, लेकिन बावजूद इसके शहर के यातायात में कोई खास सुधार नहीं हुआ और अभी भी शहर के अनेक इलाकों, प्रमुख मार्गों सहित अन्य स्थानों पर वाहन चालक ट्रेफिक की बदहाली भुगत रहे हैं।
दरअसल लाख प्रयास के बाद भी शहर में ट्रेफिक सुधारने और व्यवस्थित यातायात के लिए बल की कमी को भी दूर नहीं किया जा रहा है। वर्तमान में केवल इंदौर में ही रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या देखें तो लगभग 30 लाख है, जबकि बाहर से आने वाले वाहनों की संख्या अलग है। ऐसे में यातायात पुलिस के पास 649  का बल है, जिसमें अधिकारी और मैदान में उतरकर ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी शामिल हैं। यानि शहर में रजिस्टर्ड वाहनों की ही संख्या को देख जाए तो औसतन करीब साढ़े चार हजार से अधिक वाहनों पर एक यातायात पुलिसकर्मी के भरोसे ट्रेफिक रहता है।
शहर में सुचारू यातायात हर पुलिस अधिकारी के लिए एक चुनौती ही रहता है। पुलिस दिसंबर 2021 में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद माना जा रहा था कि शहर में अपराध कंट्रोल होंगे और ट्रेफिक में सुधार को लेकर भी कमिश्नर प्रणाली में आधुनिक संसाधनों से ट्रेफिक पुलिस लैस होगी और सबसे जरूरी बल की कमी को दूर किया जाएगा, लेकिन देखने में आया है कि बल की कमी दूर करने के नाम पर यातायात विभाग को 190 पुलिसकर्मी मिले। इन्हें मिलाकर वर्तमान में यातायात पुलिस केपास 649 अफसर और पुलिसकर्मी हैं। इनमें से 221 अफसर व उनकी टीम का काम ट्रैफिक संभालना नहीं, सिर्फ इधर-उधर जाकर चालान बनाना है।
सारे प्रयास विफल
व्यवस्थित यातायात को लेकर सभी विभागों जिला प्रशासन, नगर निगम, आरटीओ, पुलिस सहित अन्य ने मिलकर कई बार योजनाएं बनाई और वाहन चालकों को नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए, लेकिन सारे प्रयास उस समय विफल होते नजर आते हैं, जब शहर में ट्रेफिक की जमीनी हकीकत देखें तो केवल बदहाल ट्रेफिक ही नजर आता है।
वाहन चालक भी नियम मानने को तैयार नहीं
अक्सर देखा गया है कि अधिकांश वाहन चालक यातायात के नियम मानने को तैयार नहीं रहते हैं। वे नियमों का पालन तभी करते दिखाई देते हैं, जब चौराहे पर पुलिस जवान की तैनाती हो या फिर चेकिंग चल रही हो। यदि चौराहे पर पुलिसकर्मी तैनात है तो वाहन चालक रेड सिग्नल सहित अन्य नियमों का भी पालन करते हैं, नहीं तो रेड सिग्नल जंप कर चौराहा क्रास करते हैं।
आधुनिक संसाधनों से मिल रही राहत
वाहन चालकों से यातायात के नियमों का पालन कराने और सुचारू यातायात के लिए जहां पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद बल बढ़ाया गया है, वहीं आधुनिक संसाधनों का भी इसके लिए उपयोग किया जा रहा है, जिससे राहत भी मिल रही है। इसमें सबसे प्रमुख चौराहों पर लगे आरएलवीडी कैमरे हैं, जिनकी सहायत से रेड सिग्नल जंप करने वालों पर ई चालान भेजकर कार्रवाई की जाती है। वर्तमान में इस कार्रवाई को और भी सख्त करते हुए जब भी कोई वाहन चालक रेड सिग्नल जंप करते पकड़ाता है तो उससे एक साथ सारे ई चालान की राशि जमा कराई जाती है, तभी वाहन को छोड़ा जाता है।
अधिकारी भी मानते हैं बल की कमी
डीसीपी ट्रैफिक मनीष अग्रवाल का कहना है कि शहर के हिसाब से बल की कमी है। ऐसा नहीं है कि सूबेदार-एसआइ व एएसआइ ट्रैफिक व्यवस्था नहीं संभालते हैं। परेशानी होती है तो उन्हें भी भेजा जाता है। चालान बनाने के साथ वे व्यवस्था भी संभालते हैं। बाहरी इलाके में ज्यादा परेशानी है। यहां थानों की पुलिस के साथ मिलकर काम करेंगे।
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32 प्रमुख चौराहों पर लगेंगे सिंक्रोनाइज इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिग्रल
इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से ट्रैफिक को बेहतर बनाने के साथ शहर में प्रवेश करने वाले प्रमुख 10 चौराहों पर विशेष चौकसी निगरानी का इंतजाम भी किया जाएगा। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस द्वारा इनका डाटा भी सुरक्षित रखा जाएगा। इन आधुनिक कैमरों के माध्यम से पुलिस को अपराध कर भागने वालों की धरपकड़ और जांच में भी पूरी मदद मिलेगी। इस नए सिस्टम में पुलिस गुम वाहन, संदिग्ध वाहन की जानकारी वाले 'हाट लिस्टेड नंबर' को फीड कर देगी। जैसे ही वह वाहन इन कैमरों के सामने से गुजरेगा पुलिस को अलर्ट मिल जाएगा। इस तरह अपराधियों को पकडऩे में भी यह सिस्टम काफी कारगर रहेगा। इसमें इंदौर व प्रदेश ही नहीं देशभर के हाट लिस्टेट नंबर को डालकर संदिग्ध वाहन की पहचान की जा सकेगी। साथ ही चौराहों का ट्रैफिक कंट्रोल में भी बड़ी सहायता मिलेंगी।
आइटीएमएस प्रोजेक्ट के तहत 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से विशेष ट्रैफिक सिग्नल व सीसीटीवी कैमरे लगाने की तैयारी चल रही है।स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा निजी कंपनी को ठेका दिया जाएगा। जिसको लेकर तैयारियां अंतिम दौर में चल रही है। टेंडर प्रक्रिया के बाद जल्द काम शुरू होगा। प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरो के मुताबिक पुलिस अफसरों के साथ 10 प्रमुख मार्गो पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए सर्वे कार्य भी हो गया हैं।
50 स्थानों का चयन
इसके अलावा विशेष तरह के ट्रैफिक सिग्नल व कैमरे लगाने के लिए 50 स्थानों का चयन भी किया जा रहा है। इसमें बीआरटीएस के 12 चौराहे भी शामिल है। आइटीएमएस प्रोजेक्ट के तहत शहर में लगाए जाने वाली ट्रैफिक सिग्नल व सीसीटीवी कैमरों को एआइसीटीएसएल परिसर में बने कंट्रोल कमांड सेंटर से जोड़ा जाएगा। यहां बैठे पुलिसकर्मी 24 घंटे वाहनों की आवाजाही के साथ शहर की गतिविधियों की निगरानी कर सकेंगे। शहर में प्रवेश के मार्गो पर लगे कैमरों का डाटा भी कुछ दिनों तक स्टोर कर रखा जाएगा।