नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करेगा जिसके तहत कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल, रेस्तरां, ढाबा, फल और खान-पान की दुकानों पर मालिक का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। एक एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) ने यूपी सरकार के आदेश को चुनौती दी है। यह याचिका जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लिस्ट हुई है। इस आदेश के खिलाफ दो और याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई हैं। एक पिटीशन राजनीतिक चिंतक अपूर्वानंद और सामाजिक कार्यकर्ता आकार पटेल की है जबकि दूसरी याचिका तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने लगाई है।
अपूर्वानंद और आकार पटेल ने अपनी याचिका में कोर्ट से यूपी सरकार को यह आदेश वापस लेने का निर्देश देने की अपील की है। इन लोगों ने इस आदेश को जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव करार दिया है। इन लोगों ने कहा है कि आदेश में दुकानदारों की जातीय और धार्मिक पहचान बताने वाले नाम लिखने कहा गया है लेकिन खान-पान का सामान मांसाहारी है या निरामिष, ये दुकान के बाहर लिखने नहीं कहा गया है। दोनों ने इसे संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन बताते हुए कोर्ट से दखल देने की मांग की है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार पर मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान