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ये भी एक शेरनी...! क्या माफिया पर नकेल कसने की सज़ा मिली है…?

  • 10 Aug 2021

श्रद्धा मुरैना जिले के देवरी स्थित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में बतौर अधीक्षक तैनात थीं. 12 अप्रैल 2021 को उन्होंने कार्यभार संभाला था. महज 94 दिनों बाद ही 14 जुलाई को उनका तबदला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (उमरिया) कर दिया गया.इतनी जल्दी तबादले का कारण वन विभाग ने जरूर न बताया हो, लेकिन चंबल में चर्चा आम है कि श्रद्धा को सियासत ने रेत और खनन माफिया के दबाव में हटाया गया है. तबादला रुकवाने के लिए बीते दिनों कलेक्टर को भी ज्ञापन दिया गया. वहीं, सीसीएफ शशि मलिक ने प्रधान वन संरक्षक को पत्र लिखकर तबादला निरस्त करने की सिफारिश की है.


मुरैना ग्वालियर. बता दें कि चंबल नदी विलुप्तप्राय घड़ियालों का भारत में सबसे बड़ा बसेरा है. यह संरक्षित क्षेत्र में शुमार है. इसलिए रेत उत्खनन वर्जित है. इसके बावजूद सालाना करोड़ों की रेत निकालकर वर्षों से चंबल की छाती छलनी की जा रही है. लाख सरकारी दावों के बाद भी कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. सरकार भी बदलीं, लेकिन रेत की लूट चलती रही.
ऐसी परिस्थितियों में श्रद्धा की तैनाती राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में हुई. इसके बाद जो हुआ, उसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. खनन माफिया के खिलाफ जो ताबड़तोड़ मुहिम श्रद्धा ने चलाई, वैसा साहस अब तक किसी ने नहीं दिखाया था. इस दौरान उन पर ग्यारह हमले भी हुए. वन विभाग में ग्वालियर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) शशि मलिक भी एक पत्र में श्रद्धा की प्रशंसा करते हुए लिखते हैं कि 94 दिनी कार्यकाल में उन्होंने रेत, लकड़ी, पत्थर आदि का अवैध परिवहन कर रहे कुल 89 वाहन जब्त किए और बड़ी मात्रा में चंबल से लाई रेत नष्ट की.हालांकि, इस दौरान खनन माफिया ने श्रद्धा के साहस की हर परीक्षा ली. 94 दिन में श्रद्धा और उनकी टीम पर दर्जनभर जानलेवा हमले हुए. गोलियां बरसाई गईं. पथराव हुआ. उनके वाहन को ट्रक से टक्कर मारी गई. हमलों के वीडियो भी वायरल हुए। 
हालांकि, वन मंत्री विजय शाह तबादले को रूटीन कार्रवाई बताते हैं लेकिन सीसीएफ के शब्द इसे दंडात्मक कार्रवाई ठहराते हैं.इस घटनाक्रम के बीच सवाल उठता है कि चंबल में शासन-प्रशासन आखिर खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई से कतराते क्यों हैं?
सूत्र बताते हैं कि तबादले से पहले श्रद्धा पर कई बार दबाव बनाया गया कि वे अपनी कार्रवाई रोक दें, लेकिन वे नहीं झुकीं. नतीजतन, तबादला हो गया. श्रद्धा कहती हैं, ‘मैं बैतूल रही या सागर, अपना काम ईमानदारी से किया. बदले में तबादला ही मिला. लेकिन, फिर भी फर्ज से पीछे नहीं हटूंगी. अब उमरिया भेजा है, वहां भी वन्यजीवन बचाने के लिए जान लड़ा दूंगी.’इस बीच, स्थानीय लोगों में चर्चा है कि अच्छा रहा श्रद्धा का तबादला हो गया, वरना किसी दिन खनन माफिया उनकी हत्या कर देता.