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इंदौर

रालामंडल में नाइट सफारी से पर्यटकों की दूरी, सालभर में एक भी बुकिंग नहीं

  • 05 Dec 2023

जुलाई 2022 से वन विभाग ने रालामंडल अभयारण्य में शुरू की व्यवस्था।
इंदौर। वन विभाग ने जिस जोर-शोर से रालामंडल अभ्यारण्य में नाइट सफारी की सुविधा शुरू की थी, लेकिन उसे लेकर पर्यटकों का वैसा प्रतिसाद नहीं मिल रहा है। इस बात का अंदाजा इसे लगाया जा सकता है कि सालभर से रात में एक भी पर्यटक ने शिकारगाह से शहर को देखने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
नाइट सफारी से दूरी बनाने की दो वजह है, जिसमें पर्यटकों ने दरों को मुख्य बताया है। साथ ही कैफेट एरिया और अभ्यारण्य में बाकी स्थानों में जाने की मनाही है। मगर इंदौर वनमंडल ने टिकट दरों में संशोधन से साफ माना कर दिया है, क्योंकि यह निर्णय मुख्यालय स्तर से लिया जाता है। इसके लिए वरिष्ठ अफसरों ने पत्र भेजा था। मगर मुख्यालय में बैठे अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया है।
दरअसन मई 2022 में रालामंडल अभयारण्य में एक बैठक हुई, जिसमें तत्कालीन वनमंत्री विजय शाह के समक्ष जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने नाइट सफारी का सुझाव दिया। इसके बाद वन विभाग ने सफारी को लेकर प्रस्ताव मुख्यालय में भेजा। वहां से हरी-झंडी मिलने के बाद विभाग ने जुलाई 2022 में शुरूआत की और समय शाम 7.30 से रात 9.30 रखा गया है।
कुछ दिन अधिकारियों और नेताओं ने रात में अभयारण्य घूमा। फिर 15 अगस्त को मंत्री सिलावट ने औपचारिक उद्घाटन किया। इसके लिए दरें भी मुख्यालय से तय की गई। रात में अभयारण्य के भीतर आने के लिए प्रवेश शुल्क 12 साल से ऊपर वालों के लिए 200 और उसे छोटों को 100 रुपये रखा गया। इसके अलावा 499 रुपये में ओपन जीप बुक होती थी। तीन महीने यानी अक्टूबर 2022 तक पर्यटकों की रूचि रही। मगर बाद में धीरे-धीरे लोगों का आना कम हो गया।
नहीं घुमाते थे बाकी जगह
पर्यटक कम होते देख वन विभाग ने कुछ लोगों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रवेश करने के बाद वनकर्मी अभयारण्य के बाकी स्थानों पर नहीं जाने देते थे। जीप में बिठाकर सीधे शिकारगाह पर लेकर जाते थे। वहां पंद्रह से बीस मिनट ही रुकवाया जाता था। यहां तक संग्रहालय भी नहीं खोला जाता था। ऐसा करने के पीछे असल वजह यह थी कि अभयारण्य में तेंदुए की संख्या अधिक हो गई है। हादसे के डर से विभाग ने बाकी जगह जाने की मनाही कर रखी। हालांकि वनकर्मी भी नाइट सफारी के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि महिला वनकर्मियों को छोडक़र बाकी सभी को रात में ड्यूटी लगाई जाती थी।