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इंदौर

रिश्वतखोरी- सबसे ज्यादा शिकंजे में आए पटवारी, लोकायुक्त पुलिस ने तैयार किया रिपोर्ट कार्ड, दो साल में 11 आए गिरफ्त में

  • 06 Oct 2023

इंदौर। भले कितने ही प्रयास कर लिए जाएं, लेकिन रिश्वतखोरी पूरी तरह से खत्म नहीं हो रही है। अधिकांश देखा गया है कि जब कोई अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत मांगता है तो वह दूसरे का नाम लेता है कि उपर तक देना होता है। इसके चलते कई बार सरकारी विभागों में काम कराने वालों को शुभ-लाभ का खेल मन न चाहते हुए भी खेलना ही पड़ता है। देखा गया है कि कुछ कर्मचारी हैं, जो लगातार भ्रष्टाचार करते हैं और बिना रिश्वत के कुछ काम ही नहीं करते। इनमें सबसे आगे पटवारी हैं, हाल ही में लोकायुक्त पुलिस ने जो रिपोर्ट कार्ड तैयार किया है, उससे पता चलता है कि घूसखोरी में पटवारी अव्वल हैं। दो साल में 11 पटवारी रिश्वतखोरी में पकड़ाए हैं, जबकि पुलिस दूसरे नंबर है।
लोकायुक्त ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें घूसखोरी के मामले में पहला स्थान पटवारी ने हासिल कर लिया है। रिश्वत लेने में वो सबसे आगे निकल गए हैं। दो साल में ही 11 पटवारी रिश्वत लेते पकड़ाए हैं। दूसरे नंबर पर पुलिस बताई गई है, जिसका आंकड़ा पांच है। कोरोना काल के बाद रिश्वत के मामलों में कमी तो आई है, लेकिन जिस तरह से कलेक्टर कार्यालय के नुमाइंदों ने परेशान करना शुरू कर दिया है उसमें पटवारी सबसे आगे हैं। हाल ही में दो साल का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया है उसमें 11 पटवारी ऐसे निकले हैं, जिन्होंने घूस ली है उनके खिलाफ चालानी कार्रवाई की जा रही है।
सामने आए थे ये मामले
7 अगस्त को आखरी पटवारी रिश्वत लेते पकड़ाया था, जिसका नाम हेमंत राठौर है, जो झाबुआ के राणापुर के हल्का नंबर-4-5 को संभालता था। किशोर सिंह परमार की शिकायत पर उसे इंदौर लोकायुक्त ने रिश्वत लेते पकड़ा था। 30 हजार रुपए की रिश्वत ली थी और उसने मांगे 63 हजार रुपए थे।  इसके अलावा 19 अप्रैल 2023 को भी पटवारी विष्णु पटेल हल्का नंबर- 89 कछालिया (सांवेर) को 22 हजार रुपए की रिश्वत के मामले में पकड़ा था। दो किश्तों में पैसे मांगे थे, जिसमें पहली किश्त लेते हुए उसे दबोचा था। उसके पास से दस हजार रुपए जब्त किए थे। दीपक पटेल ने इस मामले में शिकायत की थी।
जांच शुरू, चालानी कार्रवाई की मांगी मंजूरी
यह मामला सामने आने के बाद तय हुआ था कि रिश्वत मांगने में आगे कौन है और उसमें पटवारी के नाम सामने आए थे। 11 पटवारी के खिलाफ जो केस दर्ज हुआ है उनके खिलाफ जांच भी शुरू हो गई है और चालानी कार्रवाई करने के लिए शासन से मंजूरी भी मांगी गई है।
जमीन के हेरफेर में मोटी रकम
सूत्र बताते हैं कि इंदौर संभाग में सबसे ज्यादा पटवारी हैं, जो रिश्वत के लिए लोगों को परेशान करते हैं और जमीन में हेर-फेर कर मोटी रकम लेते हैं। वहीं अन्य कार्यों के लिए भी इनके द्वारा रुपयों की मांग की जाती है। यदि रुपए दे दिए तो आसानी से काम हो जाता है, नहीं फिर इनके चक्कर काटते रहो।
दूसरे पर पुलिस, तीसरे पर लोनिवि
रिश्वत के मामलों में दूसरे नंबर पर पुलिस है, जिनका आंकड़ा पांच के आसपास बताया गया है, जिसमें इंदौर जिले के बाहर के पुलिस वाले शामिल हैं, जो रिश्वत मांगते पकड़ाए हैं। तीसरे नंबर पर लोक निर्माण विभाग और रजिस्ट्रार पंजीयन विभाग शामिल हैं।  
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