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इंदौर

रिश्वत - मांग तो रहे, लेकिन लेने नहीं आ रहे, लोकायुक्त की लगातार कार्रवाई से सतर्क हो गए भ्रष्टाचारी

  • 26 Aug 2023

कार्रवाई के लिए लोकायुक्त ने भी बदली रणनीति, अब  रिश्तवत लेते पकड़ा जाना जरूरी नहीं
इंदौर। लोकायुक्त पुलिस की रिश्वत लेने वालों पर लगातार कार्रवाई के चलते अब भ्रष्टाचारियों ने भी सतर्क होकर अपना तरीका बदल दिया है, लेकिन इसके बाद भी वे लोकायुक्त पुलिस ने भी अपनी रणनीति बदलकर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
द्वरअसल शासकीय विभागों में पदस्थ होकर रिश्वत मांगने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों पर लगातार कार्रवाई करते हुए उन्हें रंगेहाथों पकडऩे की कार्रवाई की तो अब रिश्वतखोर भ्रष्टाचारियों ने भी लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए अपना तरीका बदल लिया है। वे रुपयों की मांग करने के बाद भी रुपए लेने नहीं आ रहे हैं। हाल ही में ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं, जिनमें रिश्वत तो मांगी गई, लेकिन रुपए लेने वे नहीं आए, जिन्होंने रिश्वत की मांग की थी। ऐसे में अब लोकायुक्त पुलिस ने भी अपनी इन रिश्वतखोरों पर शिकंजा कसने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।
जाल में नहीं फंस रहे
भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों पर लोकायक्त पुलिस करवाई करती हैं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में छापामार कर सर्च करती है। वहीं रिश्वत मांगने वालों को ट्रैप करती हैं। रिश्वतखोर कर्मचारी कार्रवाई से बचने के लिए लोकायुक्त पुलिस के जाल (केमिकल लगे नोट देकर रंगेहाथ पकडऩा) में नहीं फंस रहे हैं।  ऐसे में अब जाकर लोकायुक्त की टीम ने भी अपनी रणनीति बदल ली है। अब धारा 7 का इस्तेमाल कर रिश्वत मांगने पर ही कार्रवाई की जा रही है फिर भले ही वह रुपए लेते रंगेहाथों पकड़ा भी नहीं जाए। आरोपी को पकडऩे से पहले टीम उसके खिलाफ सबूत जुटा कर लेती है।
पुलिस विभाग में अधिक मामले
लोकायुक्त पुलिस द्वारा रिश्वत मांगने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है, इसके बाद भी इन रिश्वतखोरों पर लगाम नहीं लग पा रही है। वहीं एक समस्या यह भी है कि कुछ लोग केवल अपना काम कराने से मतलब रखते हैं और अपने काम के लिए रिश्वत के रुपए दे देते हैं, जबकि लोकायुक्त में शिकायत के बाद तत्काल कार्रवाई की जाती है।  सबसे अधिक पुलिस विभाग में रिश्वत के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा अन्य सरकारी कार्यालयों में भी रिश्वत को लेकर कई बार लोकायुक्त पुलिस भ्रष्टाचारियों को ट्रेप कर कार्रवाई कर चुकी है।
कार्रवाई से बचने को निकाला रास्ता
लोकायुक्त पुलिस द्वारा सभी शिकायतों में एक्शन लिया जाता है और फिर योजना बनाकर केमिकल लगे नोट शिकायतकर्ता को देकर रिश्वत मांगने वाले के पास पहुंचाया जाता है। यह योजना रंगेहाथ पकडऩे के लिए बनाई जाती है, लेकिन इस तरह की  कार्रवाई से बचने के लिए ही अब रिश्वतखोर कर्मचारी स्वयं रुपए लेने नहीं आ रहे हैं। वे अपनी जगह किसी दूसरे को ही रुपए लेने पहुंचाते हैं, जिससे यदि लोकायुक्त में शिकायत भी की गई हो तो वह कार्रवाई से बच जाए।
इन मामलों में दर्ज किया केस
-नगर निगम के दरोगा ने संबल योजना के तहत रिश्वत मांगी। इस पर टीम ने ट्रैप प्लान किया। फरियादी को रुपए लेकर भेज दिया गया, लेकिन आरोपी पकड़ा नहीं जा सका। दो दिन तक टीम उसका इंतजार करती रही, लेकिन वह नहीं आया। इस पर भी केस दर्ज कर कर कार्रवाई की गई।
-इसी तरह बड़वानी जिले के बीडीओ से जीपीएफ की रकम निकालने के लिए सीईओ ने रिश्वत मांगी। आरोपी रवि ने रुपए लेने के लिए खुद न आते हुए बाबू को भेजा। बाबू को पुलिस ने पकड़ा तो आरोपी ने बताया कि उसे तो सीईओ ने भेजा है। टीम ने रुपए लेकर उसे अफसर के पास भेजा। बाबू के रुपए देते ही पकड़ लिया।
-खजराना थाने के एसआइ सुनील ने लडक़ी के मामले में आरोपी के पिता से 20 हजार रुपए मांगे। लोकायक्त पुलिस को शिकायत की गई। आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए टीम ने जाल बिछाया, लेकिन आरोपी रुपए लेने नहीं आया। बाद में धारा 7 में केस दर्ज करना पड़ा।