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भोपाल

राहुल की यात्रा और जनजातीय गौरव दिवस ... राजनीतिक समीकरणों में दिखेंगे कई बदलाव

  • 15 Nov 2022

आगामी चुनावों के लिए दोनों ही दल आदिवासियों को साधने में लगे
भोपाल। इन दिनों जहां एक ओर कांग्रेस के राहुल गांधी  भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं तो वहीं भाजपा आज आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस मना रही है। इन दोनों ही आयोजनों से आने वाले समय में राजीनिक समीकरणों में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। दरअसल दोनों ही दल इस वर्ग को साधने में जुटे हैं। राजनीतिक सूत्रों का तो यह भी मानना है कि मध्यप्रदेश में आदिवासियों को साधने के लिए भाजपा की ताजा रणनीति कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का रंग फीका कर सकती है। दरअसल, राहुल गांधी इस यात्रा के दौरान बड़े जनजातीय क्षेत्र से गुजरने वाले हैं। इससे ठीक कुछ दिन पहले 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में आदिवासी विकास खंडों में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा) के प्रविधान लागू किए जा रहे हैं।
भले ही यह महज संयोग हो कि जनजातीय गौरव दिवस और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मध्य प्रदेश में प्रवेश एक ही पखवाड़े के घटनाक्रम हों, लेकिन प्रदेश की सियासत में इसके अहम मायने होंगे। वहीं, आदिवासी चेहरों की कमी से जूझ रही कांग्रेस को राहुल गांधी की यात्रा को सफल बनाना मुश्किल भरा साबित हो सकता है।
मप्र में मालवांचल के बाद महाकोशल में आदिवासियों की संख्या अधिक है। इसी कारण आदिवासी राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जबलपुर आए थे। इसके बाद बिरसा मुंडा की जयंती पर बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनजातीय गौरव दिवस पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस वर्ष इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु शामिल हो रही हैं। भाजपा सरकार के इन प्रयासों का असर भी दिखा। राष्ट्रपति चुनाव में कुछ कांग्रेस विधायकों ने भी क्रास वोटिंग कर एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मु का समर्थन किया था।
इधर, कांग्रेस की तैयारी राहुल गांधी को आदिवासी जननायक टंट्या भील की जन्मस्थली पर ले जाने की है, लेकिन जनजातीय गौरव दिवस के भव्य आयोजन से कांग्रेस को झटका लगेगा। भाजपा मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में आदिवासी समुदाय के बीच लगातार पैठ बढ़ा रही है, वहीं जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, उन्होंने अभी तक इस क्षेत्र में कोई ऐसी बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं की है, जिसे वह बढ़-चढ़कर बता सकें।