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जबलपुर

3 करोड़ की अनियमितता, एफर्आआर दर्ज

  • 28 Jul 2021

जबलपुर। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने शासन को तीन करोड़ राजस्व की चपत लगाने वाले सहायक आयुक्त आबकारी और लिपिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। मामले की जांच जबलपुर शाखा करेगी। मामला वर्ष 2018-2019 में एमपी और छत्तीसगढ़ के 8 आर्मी डिपो को जारी होने वाले एफएल-7 लाइसेंस से संबंधित है। 31 मार्च को लाइसेंस रिन्यू कराने की बजाए 1 मई को किया गया। एक महीने तक बिना लाइसेंस के आर्मी डिपो में शराब बेची गई।
ईओडब्ल्यू एसपी देवेंद्र सिंह राजपूत के मुताबिक जांच के घेरे में आए आरोपियों ने अकेले जबलपुर में 90 लाख रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। सभी 8 आर्मी डिपो में कुल 3 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ और इतनी ही रकम का लाभ ठेकेदार को हुआ। इसमें ठेकेदार सहित अधिकारियों ने बंदरबांट किए। इस मामले में जबलपुर में पदस्थ सहायक आयुक्त आबकारी सत्यनारायण दुबे और लिपिक विवेक उपाध्याय के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मंगलवार को एफआईआर दर्ज कर ली है।
साल 2018-19 में हुआ था गड़बड़झाला
आबकारी विभाग सेना की कैंटीन से शराब की बिक्री के लिए एफएल-7 लाइसेंस जारी करता है। यह लाइसेंस एक साल के लिए वैध रहता है। हर साल 31 मार्च को लाइसेंस का नवीनीकरण कराना पड़ता है। वर्ष 2018-19 में आबकारी अधिकारियों ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए मिलीभगत करते हुए एक महीने देरी से लाइसेंस रिन्यू किया।  अधिकारियों का कहना है कि आबकारी अधिकारियों व कर्मचारियों ने सेना की कैंटीन में शराब का विक्रय रोक कर परोक्ष रूप से शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया। सेना के जवानों को कैंटीन की कम कीमत वाली शराब की जगह बाजार से ज्यादा कीमत पर शराब खरीदनी पड़ी। इससे ठेकेदार मुनाफे में रहे और सरकार को घाटा हुआ। अब एफआईआर के बाद ईओडब्ल्यू मामले की जांच आगे बढ़ाएगी। इस मामले में कुछ और लोगों पर शिकंजा कस सकता है।