धर्मस्थलों के साथ चौराहों पर भी जमावड़ा, आखिर कैसे मिलेगी मुक्ति
इंदौर। शहर में बड़ी संख्या में भिक्षुकों की जगह-जगह पर फौज नजर आ रही है। मंदिरों, दरगाहों, मस्जिदों पर हर दिन इनको देखा जा सकता है। शनिवार, गुरूवार, शुक्रवार को तो भिखारियों की बाढ़ आ जाती है। जिला प्रशासन द्वारा भिक्षुक मुक्त शहर के लिए सारे प्रयास किए गए, लेकिन इसके बाद भी शहर को इनसे मुक्ति नहीं मिली।
ट्रेनिंग लेने के बाद भी
जिला प्रशासन का भिक्षुओं को रोजगार देने वाला प्रशिक्षण केंद्र हैं। यहां विभिन्न विधाओं में ट्रेनिंग देकर इन्हें कमाने खाने काबिल बनाया जाता है लेकिन ट्रेनिंग लेकर भी ये फिर सड़कों पर भीख मांगते नजर आते हैं। कुष्ठ रोगी भिखारियों के लिए बाणगंगा में राज्य सरकार ने पूरी व्यवस्थाएं कर रखी हैं। इन्हें भीख मांगने की जरूरत नहीं है फिर भी ये सड़कों चौराहों पर भीख मांगते नजर आते है।। कोठारी मार्केट के सामने सरकारी तंबोली की दुकान के पास और पलासिया पर ऐसे कुष्ठ रोगी भीख मांगते नजर आते हैं। हाथ से खींची जाने वाली गाडिय़ों में गलियों में भी ये घूम-घूम कर भीख मांगते नजर आते हैं।
इन स्थानों पर जमावड़ा
भिक्षुकों ने कमिश्नर कार्यालय को भी नहीं छोड़ा है। कमिश्नर के दफ्तर की फुटपाथ से लेकर घंटाघर के शंकरजी व हनुमानजी के मंदिर तक और ओवरब्रिज पर जगह जगह इन भिक्षुकों का डेरा रहता है। शास्त्री ओवर ब्रिज के स्टेशन जाने वाली तीसरी भुजा सड़क तो स्थायी रूप से भिखारियों के कब्जे में रहती है। स्टेशन सरवटे बस स्टैंड, एमवाय अस्पताल के आसपास, सिटी सेंटर के पास मस्जिद, डीआरपी लाइन दरगाह, शनि मंदिर मल्हारगंज, शनि मंदिर जूनी इंदौर, उषा नगर के गजासीन शनि मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, बड़ा गणपति पर भिक्षुकों की फौज हर दिन नजर आती है।
योजना का लाभ लेकर भी
राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं से ििभक्षुकों को इतने लाभ मिलते हैं कि इन्हें भीख मांगने की जरूरत नहीं होना चाहिए लेकिन सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर भी ये भीख मांगने से बाज नहीं आते।
मुंबई की तरह चारबत्ती चौराहों पर भी
मुंबई की तर्ज पर चार बत्ती चौराहों एलआईजी, पलासिया, रीगल, फूटी कोठी, महूनाका चौराहे सहित कई ट्रेफिक सिग्नल वाले चौराहों पर भिक्षुक छोटे छोटे बच्चों को खड़ा कर देते हैं ताकि लोग दया करके भीख दे दें।
शनिवार को हजारों शनि देव
शनिवार को शनिदेव को बाल्टियों में रखकर भीख मांगने वाले हजारों की संख्या में पहुंच जाते हैं। कहा जाता है कि महिलाओं को शनिदेव से दूर रहना चाहिए लेकिन सबसे ज्यादा शनिदेव को बाल्टियों में लेकर घूमने वालों में महिला भिक्षुक ज्यादा होती है। हट्टे-कट्टे युवक भी शनिदेव जैसा काला, सिंदूरी चोला पहनकर भीख मांगने निकले पड़ते हैं। इन्हें शनिवार को पकडऩे की मुहिम छेड़ी जाए तो पता चलेगा, ये एक दो नहीं हजारों हैं।
DGR विशेष
लाख प्रयास के बाद भी नहीं मिली सफलता ... सड़कों पर भिक्षुक
- 24 Sep 2021