पहली बार... लकवा पीड़ित बाघिन को दी इंफ्रारेड थेरेपी
भोपाल। वन विहार में पन्ना नेशनल पार्क सेलाई गई लकवाग्रस्त बाघिन की हालत अभी स्थिर है। आईसीयू में उसे इंफ्रारेड थेरेपी दी जा रही है। वन विहार प्रबंधन का कहना है कि ऐसा यहां पहली बार हो रहा है जब इंफ्रारेड थेरेपी दे रहे हैं। बाघिन की हालत को देखते हुए यह निर्णय लिया है ताकि वह एट्रफी (अपक्षय) की शिकार न हो जाए। उसका इलाज वन्य प्राणी चिकित्सक तो कर ही रहे हैं साथ ही एसओएस वाइल्ड लाइफ के चिकित्सक, पशु चिकित्सालय के एक्सपर्ट्स की टीमें भी इसमें सहयोग कर रही हैं।
वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता का कहना है कि बाघिन की उम्र 10 साल के आसपास है। जंगल में इनकी उम्र 13 से 14 साल होती है। शावकों को जन्म देने के बाद इसे लकवा हुआ है। संभवत: शिकार के दौरान बाघिन लंबर कंप्रेशन(कमर के हिस्से में दबाव) की शिकार हुई। उसके निचले हिस्से में सेंस नहीं है।
पिंजरा बदलने में समस्या: प्रबंधन का कहना है कि विष्ठा और यूरीन के कारण पिंजरे को साफ करने के लिए उसे दूसरे पिंजरे में शिफ्ट करना होता है। तब समस्या आती है। हालांकि वह भोजन-पानी ले रही है।
दे रहे न्यूरल सप्लीमेंट-
बाघिन की सेहत को ध्यान में रखते हुए उसे न्यूरल सप्लीमेंट दिया जा रहा है। लंबर कंप्रेशन ठीक करने के लिए इंफ्रारेड थेरेपी दी जा रही है ताकि उसी रीढ़ की हड्डी रिवाइव हो सके।
यह है मामला-
बाघिन ने पांच माह पहले दो शावकों को जन्म दिया था। इनके पालन पोषण के दौरान वह 6 जून को एक ही जगह बैठी देखी गई। पेट्रोलिंग टीम ने इसकी जानकारी प्रबंधन को दी। इसके बाद पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता ने उसे चेक किया। उन्होंने पाया कि उसे हाइंड क्वार्टर पैरालिसिस हो गया है। उसे रेस्क्यू कर 10 जून को वन विहार में भेजा गया। तब से उसका यहां इलाज चल रहा है।
भोपाल
वन विहार के आईसीयू में चल रहा ईलाज
- 22 Jul 2023