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वित्तीय फैसलों के लिए पुरुषों पर निर्भर महिलाएं

  • 28 Apr 2023

महिलाओं की भूमिका घर-परिवार के साथ ही कार्यक्षेत्र तक महत्वपूर्ण हो गई है। महिलाएं घर की जिम्मेदारी बखूबी निभाती हैं, फिर वह चाहे बच्चों और परिवार के पालन पोषण की हो या फिर घर खर्च में मदद करने की। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 70 फीसदी कामकाजी महिलाएं घर खर्च में सक्रिय रूप से योगदान देती हैं। वर्किंग स्त्री नाम की एक सर्वे रिपोर्ट जारी हुई है। यह सर्वे 10 हजार महिलाओं पर किया गया। रिपोर्ट में पाया गया कि दिल्ली में 67 प्रतिशत से अधिक कामकाजी महिलाएं अपनी तनख्वाह से घर का खर्च चलाती हैं। वहीं 31 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो अपनी आधी सैलरी घर पर जिम्मेदारियों में खर्च करती हैं। भले ही आर्थिक रूप से महिलाएं जिम्मेदार और आत्मनिर्भर हैं लेकिन वित्तीय फैसले वह पिता, भाई और पति की मदद से ही लेती हैं। आइए जानते हैं  वर्किंग स्त्री रिपोर्ट के बारे में विस्तार से।
महिलाएं एक बेटी, पत्नी और मां समेत कई भूमिकाएं एक साथ निभाती हैं। लेकिन इस रूढ़िवादी स्वरूप से अलग कई महिलाएं अपने चुने हुए क्षेत्र में करियर और पहचान बना रही हैं, साथ ही परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर रही हैं। शिक्षा, कौशल विकास और इच्छाशक्ति के कारण महिलाएं सामाजिक बाधाओं को दूर कर पित्तसत्तात्मक समाज में अपनी भूमिका को मजबूत कर रही हैं।
कामकाजी महिलाओं पर सर्वे
बीती फरवरी माह में ऑनलाइन मार्केटप्लेस इंडियायलेंड्स ने एक सर्वे करवाया था। सर्वे के पांचवे संस्करण में मेट्रो, टियर 1 और टियर 2 की 21 से 65 उम्र वर्ग की 10 हजार से ज्यादा कामकाजी महिलाओं से सवाल पूछे गए। रिपोर्ट में कामकाजी महिलाओं को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वह चौंका देने वाले हैं। 10 हजार महिलाओं पर हुए इस सर्वे के नतीजों में बताया गया कि 70% कामकाजी महिलाएं घर खर्च में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। 31 फीसदी महिलाएं आधी सैलरी घर के लिए खर्च करती हैं। सर्वे में 70 फीसदी महिलाएं विवाहित और 16 % अविवाहित थीं।
आत्मनिर्भर महिलाओं का घर खर्च में योगदान
जो महिलाएं केवल घर की चारदीवारी में रसोई घर और बच्चे संभालने तक सीमित थी, वह आज नौकरी कर रही हैं। हालांकि कामकाजी महिलाएं नौकरी के साथ ही परिवार की आर्थिक रूप से भी जिम्मेदारी उठाती हैं। हालांकि दिल्ली की 47 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि घर के खर्चों को नियमित रूप से ट्रैक करने में मुश्किल होती है। 37% महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें क्रेडिट स्कोर से संबंधित कोई जानकारी नहीं। वहीं दिल्ली की करीब 32% कामकाजी महिलाओं ने बताया कि बचत और निवेश से जुड़े फैसले लेने में उन्हें थोड़ी कठिनाई महसूस होती है।
कामकाजी महिलाएं वित्तीय फैसलों के लिए पिता या पति पर निर्भर
हालांकि यह समस्या केवल दिल्ली की महिलाओं को ही नहीं, बल्कि देशभर में अधिकतर कामकाजी महिलाएं वित्तीय फैसले लेने के लिए अपने पिता, पति या भाई पर निर्भर होती है। भले ही खर्चों को नियमित रूप से ट्रैक करने या निवेश के लिए फैसले लेने के लिए वह पुरुषों पर निर्भर हैं लेकिन महिलाओं ने काम करने की सबसे बड़ी प्रेरणा वित्तीय आजादी बताया। महिलाओं ने नौकरी को आत्मविश्वास के लिए जरूरी माना। साथ ही महिलाओं ने परिवार की जरूरतों को पूरा करने पर बल देते हुए कहा कि जरूरत के लिए वह घर खर्च से पीछे नहीं हटेंगी।
साभार अमर उजाला