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भोपाल

विधानसभा चुनाव- आदिवासी वोट बैंक पर फोकस

  • 15 Jul 2023

साधने के लिए भाजपा-कांग्रेस ने तेज किए जतन
भोपाल। विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने जहां अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी है, वहीं कार्यकर्ताओं को भी मैदान में तैनात किया जा रहा है। सभी वर्गों और धर्मों के लोगों को अपनी ओर करने के लिए पूरा प्रयास दोनों ही पार्टी के नेता कर रहे हैं। इसके चलते आदिवासी वोट बैंक पर दोनों ही राजनीतिक दल पूरा फोकस कर रहे हैं। इसके लिए दोनों दलों ने अपने-अपने प्रयास शुरू कर दिए हैं।
 दरअसल प्रदेश में आदिवासी वर्ग की भूमिका सरकार बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण रही है। 2003 के 15 वर्ष बाद जब आदिवासी वोट ने करवट ली तो भाजपा की सरकार चली गई। वर्ष 2018 में भाजपा की सीटें 32 (एक निर्दलीय) से घटकर आधी यानी 16 बचीं, नतीजा सत्ता चली गई। इधर, कांग्रेस के पास 2013 में 15 आदिवासी सीटें थीं, जो 2018 में बढ़कर 30 हो गईं। अब दोनों ही पार्टी आदिवासियों को अपनी ओर खींचने में लगे हुए हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शहडोल दौरा हुआ तो अब राहुल गांधी भी उसी जिले में ब्यौहारी में जनसभा करने आ रहे हैं।
कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार भी आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए कई स्तर पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस विपक्ष के तौर पर जहां आदिवासी वर्ग के मुद्दे उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं योजनाओं को जाति-वर्ग में बांटने के बजाय सभी के लिए घोषित करते हुए आदिवासी वर्ग को भी साथ जोड़ रही है। पिछले दो दशकों में कांग्रेस प्रदेश में महज 15 महीने सत्ता में रही है तो उसके पास दावे करने के लिए तथ्य भले ही कम हों, लेकिन वह आदिवासी वर्ग के सम्मान और स्वाभिमान का सवाल लगातार उठा रही है। सीधी पेशाब कांड को कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के अपमान का मुद्दा बनाकर आदिवासी स्वाभिमान रैली भी निकाली।
अब भाजपा जनजातीय नायकों के शौर्य और बलिदान की स्मृतियों को देश के गौरव के रूप में पुनर्स्थापना कर रही है। मोदी आदिवासी समुदाय के लोगों से मिले और व्यक्तिगत रूप से चर्चा भी की, उनके साथ भोजन किया और उनकी कला को करीब से देखा। उनके दौरे का पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी आदिवासी समुदाय पर निश्चित रूप से खासा प्रभाव पड़ा होगा। इसके पहले भी मोदी ने मध्य प्रदेश से ही जनजातीय गौरव दिवस की शुरूआत की थी और देश के पहले विश्व स्तरीय सुविधाओं वाले रेलवे स्टेशन हबीबगंज को गोंड रानी कमलापति के नाम पर किया था। जनजातीय नायकों के सम्मान के क्रम में ही स्वतंत्रता सेनानी मामा टंट्या भील की स्मृतियों को संजोकर नामकरण किए गए हैं। शिवराज सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं।
शाह के खास हिमांशु संभालेंगे भाजपा का कैंपेन
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खास हिमांशु सिंह भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में मीडिया कैंपेन का काम देखेंगे।साथ ही मौजूदा टीम को सपोर्ट करेंगे। हिमांशु को लोकसभा चुनाव के हिसाब से मप्र भेजा गया है, लेकिन वे विधानसभा में भी एक्टिव होंगे। सीएम की डिजिटल टीम और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की टीम से यह अलग होगी। एबीएम एजेंसी के हिमांशु चार जुलाई को अमित शाह के साथ मप्र आए थे और दो दिन होमवर्क करने के बाद शुक्रवार को भोपाल से रवाना हो गए। हिमांशु पिछले चुनाव में भी भोपाल में थे और उन्हें आकाशवाणी के सामने वाला सरकारी बंगला कामकाज के लिए दिया गया था। इस बार अभी जगह तय नहीं हुई है। इधर, शनिवार को दोपहर 12.50 बजे प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव भोपाल पहुंच रहे हैं। वे तीन दिन यहां रहेंगे और 17 जुलाई को दोपहर डेढ़ बजे दिल्ली रवाना होंगे। यादव इस दौरान चुनाव प्रबंधन कमेटी के साथ बनने वाली 20 से 25 कमेटी और ग्रुप के साथ मीडिया कैंपेन (वीडियो, सांग्स यानी गीत, मीम्स के साथ थीम) को फाइनल करेंगे। भाजपा का नारा और चुनावी जिंगल भी तय होगा। पार्टी स्तर पर लोक कलाकार, नाटक करने वाले और गीतकारों से संपर्क किया जा रहा है। ये नुक्कड़ नाटकों के साथ छोटे-छोटे प्रभारी प्रोग्रामों पर काम करेंगे। मीडिया कैंपेन फाइनल होने से पहले एक कैंपेन ह्यमोदी के मन में बसे एमपी, एमपी के मन में मोदीङ्घह्ण के बाहर आने की बात सामने आई है। हालांकि भाजपा की ओर से कहा गया कि यह पुराना वीडियो है। अभी कोई नई थीम फाइनल नहीं हुई है। ऐसे कई और वीडियो हैं।