भोपाल के पास घाट सेक्शन में 80 किमी की स्पीड से दौड़ेंगी ट्रेन
नर्मदापुरम। मध्यप्रदेश में भारतीय रेलवे ने इतिहास रच दिया है। नर्मदापुरम में बुधनी से बरखेड़ा के बीच 26.50 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का काम अंतिम चरण में है। यह ट्रैक रातापानी अभयारण्य से होकर गुजरता है। रेलवे ने यहां विंध्याचल पर्वत को काटकर 6 टनल बनाई हैं। फिलहाल सिंगल ट्रैक है। चौथी लाइन का प्रस्ताव होने पर दूसरा ट्रैक भी डाला जाएगा। सुरंगों में से ट्रेनें 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी।
ये ट्रैक नई दिल्ली-मुंबई-चेन्नई मार्ग पर पड़ता हैं। इसमें कट एंड कवर टेक्नीक का प्रयोग किया गया है। इटारसी से भोपाल की ओर जाने वाली ट्रेनें इस सुरक्षा वाली कॉन्क्रीट की टनल से गुजरेंगी। तीन सुरंगों का काम अंतिम चरण में है। अफसरों का दावा है कि इस साल के अंत तक ट्रैक का काम पूरा कर लिया जाएगा।
26.5 किमी के ट्रैक पर दो दिन पहले लोको (इंजन) का पहला ट्रायल किया गया। करीब 50 किमी की रफ्तार से सिंगल लोको इस पर दौड़ा। दो बार लोको ट्रायल के बाद कमिश्नर आॅफ रेलवे सेफ्टी (सीएसआर) इसकी सेफ्टी और गुणवत्ता को परखेंगे। सीएसआर की हरी झंडी के बाद इन सुरंगों से ट्रेनें दौड़ना शुरू हो जाएगा।
टनल नंबर 5 के अंदर ट्रैक और ओएचई लाइन बिछ चुकी है। टनल की इतनी चौड़ाई है कि डबल ट्रैक बिछ सकते हैं। टनल के 100 मीटर अंदर कर्व है।
वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ 2 मीटर ऊंची बाउंड्री (फेंसिंग) बनाई जा रही है। टनल के आसपास छोटे-छोटे डैम बनाए गए हैं, जिससे वन्य प्राणी पानी पी सकेंगे। आरबीएनएल (रेल विकास निगम) की देखरेख में आंध्र प्रदेश की मैक्स इंफ्रा लिमिटेड कंपनी ने सुरंगों का निर्माण किया है।
पश्चिम-मध्य रेलवे जोन में डबल ट्रैक वाली पहली सुरंगें
टनल 4 और टनल 5 मध्यप्रदेश की पहली सुरंग है, जिसमें से एक साथ दो ट्रेनें निकल सकेंगी। पश्चिम मध्य रेलवे जोन में डबल ट्रैक वाली पहली सुरंग हैं। इन्हें भविष्य के हिसाब से निर्माण किया गया है। अगर चौथी लाइन डालने की प्लानिंग होती है, तो आसानी से अतिरिक्त ट्रैक डल जाएगा। अभी तक जो भी सुरंगें बनीं, वो केवल सिंगल ट्रैक वाली है।
सुरंग में इछळ तकनीकी ट्रैक का उपयोग-
सुरंगों में बीएलटी (ब्लास्ट लैस ट्रैक) तकनीकी से डबल ट्रैक (लाइन) डाली गई है। टनल में स्लीपाट भी नहीं लगाए गए हैं। कॉन्क्रीट के फ्लोर पर ही ट्रैक डाले गए हैं। ऐसा ट्रैक अमूमन प्लेटफार्म पर रहते हैं। आमतौर पर रेलवे ऐसे बड़े क्रॉस-सेक्शन की सुरंगों का निर्माण नहीं करता। 534 मीटर करवेचर में घोड़े की नाल के आकार की सुरंग है।
इंदौर
विंध्याचल पर्वत को चीरकर बन रही हैं 6 सुरंग
- 31 Aug 2023