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शराब ठेकेदारों की सरकार को चेतावनी - नई नीति में बदलाव नहीं तो 1 अप्रैल से भोपाल-इंदौर समेत 17 जिलों में नहीं खुलेंगी 65 प्रतिशत दुकानें, करोड़ों का होगा नुकसान

  • 24 Mar 2022

भोपाल। मध्यप्रदेश में नई शराब नीति पर ठेकेदार और सरकार के बीच तकरार जारी है। नीति के विरोध के चलते ठेकेदार भोपाल, इंदौर, जबलपुर-ग्वालियर समेत प्रदेश के 17 जिलों में ठेके लेने से पीछे हट रहे हैं। यदि वे ठेके नहीं लेते हैं 1 अप्रैल से भोपाल-इंदौर समेत 17 जिलों की 65 प्रतिशत शराब दुकानें नहीं खुलेगी। ऐसे में सरकार को करोड़ों के रेवेन्यू का नुकसान होगा, या फिर सरकार को ही ठेके चलवाने पड़ेंगे।
नई नीति के तहत प्रदेश के 17 जिलों में सिंगल की जगह ग्रुप में दुकानों के टेंडर दिए जा रहे हैं। इनमें भोपाल, राजगढ़, इंदौर, खंडवा, जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, कटनी, रीवा, सतना, उज्जैन, नीमच, सागर, ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड और मुरैना जिले शामिल हैं। 2000-21 और 2021-22 में यह सिंगल ठेके की व्यवस्था थी। यानी एक ही ठेकेदार जिले की दुकानों का संचालन करते थे। 2022-23 के लिए 3-3 दुकानों के ग्रुप बना दिए गए हैं। यानी, ठेकेदार ग्रुप में दुकान चलाएंगे। इस नीति को लेकर ही ठेकेदार खफा है। वे दुकानें लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। 17 जिलों में एवरेज 35प्रतिशत ठेके ही नीलाम हो पाए हैं।
ठेके न लेने की ये 3 वजह
देशी-अंग्रेजी शराब दुकानें एक ही जगह खोलना
मार्जिंन कम करना और रिजर्व प्राइस बढ़ाना
माल उठाने की पाबंदियां तय करना
ठेके नीलाम नहीं तो सरकार को इतना नुकसान
शराब ठेकेदारों की माने तो भोपाल में 90 शराब ठेकों की नीलामी 1094 करोड़ रुपए में होनी है। वहीं, इंदौर में 1300 करोड़ रुपए में ठेके नीलाम होते हैं। इन दोनों ही जिलों में 35प्रतिशत ही ठेके नीलाम हुए हैं। बाकी ठेकों की नीलामी न होने से सरकार को रेवेन्यू का नुकसान होना तय है।
भोपाल में अब तक 32 दुकानों के ही ठेके हुए
भोपाल में शराब की 90 दुकानें हैं। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए ई-टेंडर की प्रोसेस 11 फरवरी को हुई थी। इस दौरान 32 दुकानों के ही ठेके हुए थे। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग ने इस बार 25त्न रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया। यह घाटे का सौदा है। वहीं, देशी और अंग्रेजी शराब एक ही दुकानों पर बेचने की शर्त भी है। इस कारण कारोबार पर असर पड़ेगा। लिहाजा, वे ठेके लेने से पीछे हट रहे हैं। यही कारण है कि 23 मार्च तक छह दौर की नीलामी होने के बावजूद 65प्रतिशत ठेके नीलाम नहीं हो सके हैं।
ठेके नीलाम नहीं तो सरकार ये उठा सकती है कदम
ठेकेदार 31 मार्च तक ही ठेके चला सकेंगे। 1 अप्रैल से ठेके नए सिरे से चलेंगे। चूंकि, आधे से ज्यादा ठेके नीलाम नहीं हुए हैं तो सरकार के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। रेवेन्यू के नुकसान से बचने के लिए सरकार या तो खुद ठेके चलवा सकती है या फिर नई शराब नीति में बदलाव कर ठेकेदारों को राहत दे सकती है।
सरकार नीति में बदलाव करें
- भोपाल-इंदौर समेत प्रदेश के 17 जिलों में करीब 65त्न शराब दुकानें नीलाम नहीं हुई है। सरकार से शराब नीति में बदलाव करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। फरवरी में विरोध भी जताया था। बदलाव नहीं हुआ तो हम ठेके नहीं ले पाएंगे।
ऋषिकांत शर्मा, प्रेसिडेंट मध्यप्रदेश आबकारी संघ