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इंदौर

शहर की जनता पर कचरा शुल्क के 50 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया

  • 14 Jul 2021

इंदौर। शहर की जनता नगर निगम को कचरा तो खूब दे रही है, लेकिन डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क भरने के मामले में शहर फिसड्डी साबित हो रहा है। पांच साल में जनता पर 50 से 60 करोड़ रुपये तक का शुल्क बकाया हो गया है। कोरोनाकाल के दौरान नगर निगम भी वसूली को लेकर सख्ती नहीं कर रहा है।
निगम अफसरों का कहना है कि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क को लेकर सबसे बड़ी बाध्यता सरचार्ज की है। कचरा कलेक्शन शुल्क पर सरचार्ज (दंड) लागू नहीं है। इस वजह से कई लोग शुल्क समय पर भरने को लेकर चिंतित नहीं रहते। कई लोगों का तीन-तीन, चार-चार साल का शुल्क बकाया है। यदि इतनी बकाया राशि निगम को मिल जाए, तो उसके कई विकास कार्य शुरू या पूरे हो सकते हैं। हालांकि, अभी आला स्तर पर कचरा शुल्क की वसूली बढ़ाने को लेकर कोई दिशानिर्देश नहीं मिले हैं। रोजाना चार-पांच लाख रुपये का शुल्क भी आ जाए, तो राजस्व विभाग संतुष्ट हो जाता है।
शहर में 2016 से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क लागू किया गया था, क्योंकि निगम लोगों को घर बैठे कचरा देने की सुविधा दे रहा है। यह शुल्क केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की गाइड लाइन के आधार पर लागू किया गया है। हर साल स्वच्छ सर्वे के दो-तीन महीने पहले वसूली बढ़ाने का अभियान चलाया जाता है और लक्ष्य के अनुरूप वसूली के बाद अभियान ठंडा पड़ जाता है। वसूली बढ़ाने के लिए सर्वे से पहले एनजीओ के प्रतिनिधि सक्रिय रहते हैं, लेकिन सर्वे के बाद वे भी लोगों से शुल्क भरने का आग्रह करना बंद कर देते हैं।