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व्यक्तित्व विशेष

शांता सिन्हा

  • 07 Jan 2022

(जन्म- 7 जनवरी, 1950, नेल्लोर, आंध्र प्रदेश) 
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बालश्रम विरोधी भारतीय कार्यकर्ता हैं। शहरों तथा गाँवों में गरीबी का जो परिणाम गरीबी को स्थायी बनाए रखने की बुनियाद बनता है, वह है बाल मजदूरी। जिन गरीब परिवारों के बच्चे गरीबी के बावजूद उनके माता-पिता की सोच के चलते स्कूल तक पहुँचते हैं, वहाँ गरीबी के दिन थोड़े रह जाते हैं। शान्ता सिन्हा ने इस निष्कर्ष को पूरे आन्ध्र प्रदेश में व्यापक रूप से फैलाने का काम किया। उन्होंने लोगों की इस धारणा को तोड़ा कि गरीबों के बच्चों के काम किए बिना परिवार का गुजारा नहीं हो सकता। इस तरह उन्होंने अपनी संस्था "मामिडिपुडी वैंकटारंगैया फाउन्डेशन" (एमवीएफ़) की सेक्रेटरी के नाते बाल मजदूरी पर अकुंश लगाया और बच्चों को स्कूल की राह पर डालने की व्यवस्था की। उन्होंने इस कार्य को तमाम विरोध के बावजूद संकल्पपूर्वक निभाया, इसके लिए उन्हें वर्ष 2003 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' प्रदान किया गया।