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शेरनी के नामकरण पर विवाद में बोला हाई कोर्ट

  • 22 Feb 2024

कोलकाता।। कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को सिलीगुड़ी के सफारी पार्क में एक शेरनी का नाम 'सीता' रखे जाने के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की याचिका पर सुनवाई की। वीएचपी ने आरोप लगाया था कि, “विश्व हिंदू परिषद को इस बात की गहरी पीड़ा हुई है कि बिल्ली प्रजाति का नाम भगवान राम की पत्नी “सीता” के नाम पर रखा गया है। सीता दुनिया भर के सभी हिंदुओं के लिए पवित्र देवी हैं। याचिका में कहा गया है कि ऐसा कृत्य ईशनिंदा के समान है और सभी हिंदुओं की धार्मिक आस्था पर सीधा हमला है।'' 
याचिका पर जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की एकल पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि वे कोर्ट से यह निर्देश देने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी भी जानवर का नाम किसी देवता के नाम पर नहीं रखा जाए। वीएचपी ने कहा कि उसे इस बात की आशंका है कि अगर यह ट्रेंड स्थापित हो गया तो आगे चलकर किसी गधे का नाम किसी देवता के नाम पर रखा जाने लगेगा।
याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने शेर को देवी दुर्गा की सवारी को रूप में संदर्भित किया। कोर्ट ने कहा, "जानवरों का नाम स्नेह से रखा जा सकता है। हम दुर्गा पूजा के दौरान शेरों की पूजा करते हैं। यह व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है। क्या हम बिना सिंह के दुर्गा की कल्पना कर सकते हैं?”
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि शेर के देवी दुर्गा के चरणों में होने का एकमात्र कारण यह था कि उसका उद्देश्य हर तरफ से बुराई पर हमला करना था और शेर को कोई नाम नहीं दिया गया था। पीठ ने आगे कहा कि विहिप द्वारा दायर याचिका एक जनहित याचिका की प्रकृति में थी। इसलिए इसे पीआईएल से संबंधित पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि एक विशेष धर्म से संबंधित लोगों के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है और ऐसे मामले में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उपाय लागू होगा।
इस दौरान यह भी कहा गया कि त्रिपुरा चिड़ियाघर से आई शेरनी के नामकरण को लेकर काफी भ्रम की स्थिति है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि त्रिपुरा चिड़ियाघर के अधिकारियों ने शेरों का नाम नहीं रखा है। मीडिया रिपोर्ट से पता चला कि राज्य प्राणीशास्त्र विभाग ने शेर का नाम अकबर और शेरनी सीता का नाम दिया है। राज्य सरकार इसकी लिए जिम्मेदारी लेने से बच रही है। 
साभार लाइव हिन्दुस्तान