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उज्जैन

श्री महाकाल महालोक की वास्तुकला में महाकवि कालिदास की परिकल्पना की झलक

  • 27 Oct 2022

उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नविस्तारित क्षेत्र श्री महाकाल महालोक की वास्तुकला में सैकड़ों वर्ष पहले जन्मे महाकवि कालिदास की महाकाल मंदिर क्षेत्र की परिकल्पना की झलक दिखाई देती है। महाकवि ने अपने दूतकाव्य 'मेघदूतम' में महाकाल धाम शब्द का प्रयोग कर यहां की सुंदरता का खूबसूरती से लेख किया है।
यक्ष द्वारा मेघों (बादलों) के जरिये अपनी प्रेमिका तक संदेश पहुंचाने के लिए लिखा है कि महाकाल धाम का उद्यान गंधवती (उज्जैन में शिप्रा नदी की शाखा नदी, जो चंडेश्वर नामक स्थान से बहती है) नदी की हवाओं में शामिल धरती की मिट्टी की सुगंध के झोंको संकपित है। वहां से होकर गुजरना। रघुवंशम में लेख है कि शिप्रा की तरंगों को छूकर आने वाली वायु से कंपित उद्यानों में विहार करना। वहां कमल खिलते हैं।
इसी परिकल्पना को साकार रूप उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने महाकाल योजना के प्रथम चरण के कार्यों में दिया और दूसरे चरण के कार्यों में भी देने की तैयारी की जा रही है। महाकालेश्वर मंदिर के आसपास कमल खिले, रूद्र सागर का तट और पानी स्वच्छ एवं सुंदर हो, शिप्रा नदी का किनारा अलौकिक छटा बिखेरने वाला हो, इसी ध्येय के साथ योजना बनाई गई, जिसका एक अंध धरातल पर दिखाई भी देने लगा है। बड़े रुद्रसागर का तट विकास किया गया है। पास ही कमल सरोवर बनाया गया है, जिसके बीच भगवान शिव की योग मुद्रा वाली विशाल मूर्ति स्थापित की है। शिप्रा नदी किनारे राम घाट और दत्त अखाड़ा घाट को पुरातन स्वरुप में संवारना शुरू किया है।
शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर के सामने स्थित छोटे रुद्रसागर का तट का विकास एवं सुंदरीकरण भी किए जाने की तैयारी है। योजना अनुसार इस तट के किनारे नटराज मंडल बनेगा, जिसके केंद्र में भगवान नटराज की मूर्ति होगी और इसके समीप आठों दिशाओं में तांडव नृत्य करती भगवान शिव की आठ मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। इन मूर्तियों के चारों ओर उनके परम भक्त माने गए भगवान श्रीराम, परशुराम, शनिदेव, गुरु शुक्राचार्य की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। मूर्तियों का निर्माण कर लिया गया है। सभी मूर्तिया फाइबर रेन फोर्स प्लास्टिक से बनाई है।